नज़रिया



कुछ तो अच्छा होगा ही

नज़र बदल कर देखा


क़दम क़दम पर खड़ी मुसीबत 

सुबह शाम होती है हुज्जत

मिलती नहीं किए की क़ीमत

डगर बदल कर देखा

कुछ....


लगा रहा लोगों का मेला

खेल सभी ने मुझसे खेला

बहुत तमाशा हमने झेला

नगर बदल कर देखा

कुछ....


आई आशा भेष बदलकर

अभिलाषा की चुनर ओढ़कर

खड़ी हो गई राह रोक कर

बाँह पकड़ कर देखा

कुछ....


वह बोली जीवन है कहता

दुख सुख आता जाता रहता

सब कुछ बुरा नहीं हो सकता

सोच बदल कर देखा

कुछ....


खुली आँख से जो कुछ देखा

वही बना ली जीवनरेखा

बाक़ी सब कर के अनदेखा

आगे बढ़ कर देखा

कुछ....

 

**जिज्ञासा**

31 टिप्‍पणियां:

  1. नजरिया बदलकर देखना ही पड़ता है हर भले-बुरे को

    आगे बढ़कर निकलना ही होता है हर हाल को छोड़कर

    बहुत सुन्दर

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    1. आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया..सादर नमन..

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (20-01-2021) को "हो गया क्यों देश ऐसा"  (चर्चा अंक-3952)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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    1. आदरणीय शास्त्री जी, नमस्कार ! मेरी रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए आपका आभार व्यक्त करती हूँ..सादर शुभकामनायें..

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  3. बहुत सुंदर, बहुत प्रेरक ग़ज़ल है यह जिज्ञासा जी । सच है कि नज़र बदलने से ही नज़ारे बदलते हैं । अभिनंदन आपका ऐसी ग़ज़ल लिखने के लिए जो पढ़ने वालों की आंखें खोल दे ।

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  4. जितेन्द्र जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया से मुग्ध हूँ एवं ब्लॉग पर आपके आपके निरंतर स्नेह की आभारी हूँ..

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  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 20 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. प्रिय पम्मी जी,"पाँच लिंकों का आनन्द पर" मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया एवं आभार व्यक्त करती हूँ..सादर शुभकामना सहित जिज्ञासा सिंह..

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  7. खुली आँख से जो कुछ देखा
    वही बना ली जीवनरेखा
    बाक़ी सब कर के अनदेखा
    आगे बढ़ कर देखा
    कुछ....

    मनोदशा को चित्रित करती बहुत सुंदर रचना 🌹🙏🌹

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    1. आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय अनीता जी.. सादर नमन..

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  9. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  10. बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय अनीता जी..आपकी प्रशंसनीय टिप्पणी को नमन है..

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  11. एक बदला हुआ नजरिया, एक कान बदलती बात......कितना कुछ बदल देते हैं

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    1. सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए आपका सादर नमन गगन जी..

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    1. आदरणीय सिन्हा जी, आपका बहुत बहुत आभार..सादर नमन..

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  13. सोच बदल कर देखो ...
    यूँ तो हर बात पे सोच बदलने का कुछ तो असर होता है ...

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  14. वह बोली जीवन है कहता
    दुख सुख आता जाता रहता
    सब कुछ बुरा नहीं हो सकता
    सोच बदल कर देखा
    कुछ....

    सुन्दर सृजन.....

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद विकास जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को नमन करती हूँ..सादर..

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  15. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 21 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  16. खुली आँख से जो कुछ देखा
    वही बना ली जीवनरेखा
    बाक़ी सब कर के अनदेखा
    आगे बढ़ कर देखा
    कुछ....//
    नज़र बदलती है तो नजारा भी बदल जाता है | सुंदर सृजन प्रिय जिज्ञासा जी |जो जीवन दर्शन में परिवर्तन का पक्षधर है |सस्नेह शुभकामनाएं|

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  17. नज़रिया बदल कर देखने से बहुत कुछ स्पष्ट दिखने लगता है ।
    सुंदर अभिव्यक्ति

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