अहम का भाव और मैं


कुछ तो वादा होगा मेरा खुद से ।
खुदगर्जी आच्छादित दर्पी बेखुद से ।।

ऐसे कहाँ बदलती है तल्खी औ तेवर ।
पहने अक्स निहारूँ आभाओं के जेवर ।।
डर ही जाती दिखते दर्पण के ही बुत से ।

ये कैसा है रूप मेरा मुझसे ही निर्मित ।
किन किन मणियों से है दिखता अहम सुशोभित ।
सीधी सरल कुछेक कई हैं अद्भुत से ।।

निरत सदा बहती जो धारा खुद के रस की ।
गर्म सर्द या तीखी, बहे नहीं मधुरस सी । 
यही सोच खटपट करती सुधबुध से ।।

जो पनपा वो बीज जटिल बोझिल कर्कश सा ।
करता वही विनाश, वही विपरीत है आशा ।
छोड़े न जो द्वार हृदय का, लड़े बुद्ध से ।।

मैं से आगे करेगा तू क्या मानव कुछ नव युग में ?
वर दे खुद को करे उजाला दिव्यज्योति का मग में ।
इस नव वर्ष "रहा ये वादा मेरा".. मुझसे ।।

**जिज्ञासा सिंह**

16 टिप्‍पणियां:

  1. नया साल हम पर, तुम पर, सब पर, मेहरबान हो, यही दुआ है !

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  2. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (29-12-2021) को चर्चा मंच       "भीड़ नेताओं की छटनी चाहिए"  (चर्चा अंक-4293)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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  3. आदरणीय शास्त्री जी सादर प्रणाम🙏
    रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका कोटि-कोटि आभार और अभिनंदन । हार्दिक शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह💐💐

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  4. खुद के अंदर दीप जले तो ही आदमी का आदमी होना सम्भव.
    बेहतरीन रचना.
    मगर...

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  5. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं, जिज्ञासा दी।

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  6. बहुत-बहुत आभार ज्योति जी। आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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  7. साहित्यिक रास्तों में यूं ही दिव्य ज्योति करतीं ...
    ऐसे रचनाओं के दीप जलाते हुईं

    सुंदर रचना

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  8. वाह!जिज्ञासा ,बेहतरीन सृजन । नववर्ष मंगलमय हो 💐💐💐💐💐

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  9. बहुत बहुत आभार प्रिय सखी ।
    नववर्ष में आप गायन में परचम फहराएं💐
    यही मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐

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  10. बहुत बहुत आभार आदरणीय सर नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई🙏🎊🎉

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