रेशे-रेशे घुसे पड़े हैं दांतों में
भजिया अब घर नहीं बनेगी ।
जली पराली धुआँ भरा है साँसों में
भंडरिया क्या ख़ाक भरेगी ?
तपी दोपहर, चला नहीं
पानी का इंजन ।
खेत सूखते खलिहानों में
भटके खंजन ॥
जमा-बचा गुल्लक का रुपया,
डॉलर बन कर घूम रहा परदेसों में ।
सेंसेक्स में नई करेंसी धूम करेगी ॥
गई जवानी लौट नहीं आयेगी
जितनी जुगत लगा लो ॥
पॉप गाओ, रैपर बन जाओ
भोजपुरी-अवधी अब गा लो ॥
रंग-मंच पे धूम मची, देखो जमजम के,
योगा-जिम करने वाले संग-संग नाचेंगे ।
मुद्रा नव-नव रूप बदलकर ऐश करेगी ॥
अरे! कहा था नहीं परेशॉं
होना तुम जग बदलेगा ।
रोटी नून बदल जाएगा
पिज़्ज़ा-बर्गर घर पहुँचेगा ॥
एक हाथ से लेते रहना,कर्ज बैंक से,
ड्योढ़ी पर किश्तों पे किश्तें दे जाएँगे ।
बैंक पॉलिसी आवभगत अब खूब करेगी ॥
**जिज्ञासा सिंह**