करें नव वर्ष का स्वागत, तहेदिल से सभी मिलके।
ये सृष्टि हंस रही है आज,अभिनंदन में खिलखिल के।
सजी है भोर सिंदूरी अवनि से दूर अंबर तक,
पहन कर किरण पैजनियाँ उतरती आज हो रुनझुन।
झुकी हैं बाग में डाली भरी गदराई कलियों से,
झरें मकरंद, भौरों की सुखद आमद करे गुनगुन॥
फलेंगे और फूलेंगे, कुसुम बन भाव हर दिल के।
करें नव वर्ष का स्वागत, तहेदिल से सभी मिल के॥
हवा में तैरते पंछी खेत में झूमती फसलें,
कि हर घर में नई सौगात ये नव वर्ष लाया है।
किसी के घर गुड़ी पड़वा, कहीं नवरात्रि का गरबा,
मगन हो झूमकर धरती ने मधुमय गीत गाया है॥
सितारों की मधुर रुनझुन, चाँदनी दे गई चल के।
करें नव वर्ष का स्वागत, तहेदिल से सभी मिल के॥
वो गुलमोहर मेरे द्वारे पे खिलकर हँस रहा ऐसे,
कि झरने की मधुर सरगम कहीं नव गीत गाती हैं।
सजी ड्योढ़ी पे रंगोली औ बंदनवार पल्लव के,
प्रकृति दुल्हन के जैसे शर्म से घूँघट उठाती है॥
है नव उल्लास का मौसम, ख़ुशी के भाव हैं छलके।
करें नव वर्ष का स्वागत, तहेदिल से सभी मिल के॥
**जिज्ञासा सिंह**