जिज्ञासा की जिज्ञासा

मैं जीवन में नित नए अनुभवों से रूबरू होती हूँ,जो मेरे अंतस से सीधे साक्षात्कार करते हैं,उसी साक्षात्कार को कविता के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास है मेरा ब्लॉग, जिज्ञासा की जिज्ञासा

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उत्तर प्रदेश पत्रिका में प्रकाशित गीत

 









Posted by जिज्ञासा सिंह at मंगलवार, सितंबर 16, 2025 1 टिप्पणी:
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व्योम के विशालकाय परिदृश्य में, सिन्धु के गर्भ में, धधकते मरुस्थल में, संपूर्ण सृष्टि और ब्रम्हांड के चर अचर प्राणियों में विचरण करने के उपरांत परिकल्पनायें कुछ कहने के लिए अधीर हो उठती हैं , जिन्हें अमर्त्य बनाने के लिये मानव मानस को कुछ सृजनात्मक और सारगर्भित कार्य करने चाहिए । उसी सन्दर्भ में कुछ रेखांकित करने का नव प्रयास है मेरा लेखन ...
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