बुढ़ापे का साया



 मैं बुढ़ापे का साया हूँ         


तुम्हारे लहू में बहता हुआ 

हड्डियों में दौड़ता हुआ 

हर साँस में समाया हूँ

मैं बुढ़ापे का...


राज़ की अनगिनत बात है मुझमें

कई पीढ़ियों के ख़यालात हैं मुझमें

सब कुछ अपने  काँधे पर ढोता आया हूँ

मैं बुढ़ापे का...


कुछ पूरे हुए कुछ अधूरे रहे सपने

कुछ हुए पराए कुछ मिले अपने

हर बात उँगलियों के पोर पे गिनता आया हूँ

मैं बुढ़ापे का...


बस कुछ तारीख़ का फ़ासला है ये 

पहली से अंतिम सीढ़ी का सिलसिला है ये

जिसे दबे क़दमों से निभाता आया हूँ

मैं बुढ़ापे का...


याद है मुझे जीवन की हर उमंग

चला जाऊँगा मित्र तुम्हारे संग

बचपन से आज तक तुझमें समाता आया हूँ

मैं बुढ़ापे का...


 **जिज्ञासा**


20 टिप्‍पणियां:

  1. व्वाहहह..
    चला जाऊँगा मित्र तुम्हारे संग
    बचपन से आज तक तुझमें समाता आया हूँ
    बेहतरीन अंक..
    सादर।.

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    1. आदरणीय दीदी, आपकी व्वाहह ...देखकर मन बाग़बाग हो गया,आपको मेरा कोटि कोटि नमन...

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  2. सार्थक व बेहतरीन रचना आदरणीया जिज्ञासा जी।

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    1. पुरशोत्तम जी,आपकी सुंदर प्रशंसा को नमन है,सादर अभिवादन ।।

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  3. प्रिय जिज्ञासा जी आपकी रचनाओं की लयात्मकता सदैव मुझे आकृष्ट टरती है।
    अनुभवों की गठरी उठाये उम्र का एक ऐसा पड़ाव जब मन जीवनभर के कर्मों को दोहराता है बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति है आपकी।
    आपकी लेखनी को सस्नेह बधाई।
    सादर।

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    1. प्रिय श्वेता जी, आपकी प्रशंसा एवं स्नेह भरी टिप्पणियाँ सदैव प्रेरणात्मक होती हैं, आपका आभार एवं नमन ।।

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    1. उषा जी, आपकी प्रशंसा शिरोधार्य है, आपको हार्दिक नमन ।।

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    1. पम्मी जी,आपकी प्रशंसा मनोबल बढ़ाती है,स्नेह बनाए रखें,सादर नमन ।।

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  6. अति सुन्दर वाकई बुढ़ापा अपने में बहुत कुछ समाये हुए है।

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    1. जी, आपको ब्लोग पर देख सदैव हर्ष की अनुभूति होती है, सादर नमन ।।

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  7. बहुत ही सुंदर सृजन मन को छूते भाव।
    सादर

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    1. अनीता जी,आपकी सकारात्मक प्रशंसा उत्साह वर्धन करेगी और नव सृजन की प्रेरणा बनेगी, आदर सहित नमन ।।

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  8. एक अनमोल रचना है यह प्रिय जिज्ञासा। बहुत आभार संगीता दी का जिन्होंने अपनी पारखी नजर से एक बेहतरीन सृजन को पहचाना और हम तक पहुँचाया पाँच लिंकों में शामिल कर !

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    1. आपकी अनमोल प्रशंसा को दिल में बसा लिया प्रिय मीना जी, ये रचना मैंने जब ब्लॉग शुरू किया था,तब डाली थी,पर किसी की नज़र नहीं पड़ी,सच मीना जी मैंने तो बुढ़ापे के ऊपर अलग एक ब्लॉग बनाया था।क्योंकि मेरे पास बुजुर्गों के ऊपर लिखी कविताओं का अच्छा संग्रह है,पर वो व्यावहारिक नहीं लगा बाद में, तो उसे हटा दिया,संगीता दी ने मेरी इस कविता को चुना,जिसके लिए उनको नमन,आपको मेरा नमन एवं वंदन ।।

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  9. सच बुढ़ापा जीवनभर के अनुभव का निचोड़ है
    बहुत सुन्दर

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    1. जी,सही कहा आपने, आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया को नमन है ।।

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  10. याद है मुझे जीवन की हर उमंग
    चला जाऊँगा मित्र तुम्हारे संग
    बचपन से आज तक तुझमें समाता आया हूँ
    मैं बुढ़ापे का.
    बुढापे के सकारात्मक और दारुण अनुभवों को संजोता भावपूर्ण सृजन प्रिय जिज्ञासा जी | अब कतारबद्ध अनुभवों की विराट कड़ी है बुढापा |सस्नेह शुभकामनाएं और अभिनन्दन ]

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  11. प्रिय रेणु जी,आपकी स्नेह सिक्त प्रशंसा और गहरा विश्लेषण मुझे हमेशा प्रभावित करता है, आपके निरंतर मिलते स्नेह को नमन एवं वंदन ।।

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