मैं और मेरी नहीं सी जान
हो गई बड़ी परेशान
कोरोना जैसी महामारी से
हर घर में घुसी इस बीमारी से
यह जब हमारे देश में आई
इसने ऐसी दहशत फैलाई
कि हम छुप गए घरों में
अपने अपने छोटे से कमरों में
बंद हो गई पढ़ाई और स्कूल
धीरे धीरे हम सब कुछ जा रहे हैं भूल
मेरे दोस्त और मेरे टीचर बहुत याद आते हैं मुझे
लगते हैं जीवन के हर दिए बुझे बुझे
न खेल पा रहे हैं न किसी से मिल पा रहे हैं
घर में बैठे बोर होते जा रहे हैं
कभी कभी तो सोच के घबरा जाते हैं हम
ये बीमारी कब होगी ख़तम
वैसे हम हर नियम का पालन कर रहे हैं
साफ सफाई और दो गज़ की दूरी का ध्यान रख रहे हैं
बस अब ये हमारे देश से चली जाए
जाकर किसी और दुनिया में बस जाए
यही प्रार्थना करते हैं हम हर दिन
अब नहीं रह पा रहे हैं हम अपने दोस्तों और स्कूल के बिन..!
**जिज्ञासा सिंह**
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22-12-20) को "शब्द" (चर्चा अंक- 3923) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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कामिनी सिन्हा
कामिनी जी, नमस्कार! मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत शुक्रिया..सादर..
हटाएंकभी कभी तो सोच के घबरा जाते हैं हम
जवाब देंहटाएंये बीमारी कब होगी ख़तम
वैसे हम हर नियम का पालन कर रहे हैं
साफ सफाई और दो गज़ की दूरी का ध्यान रख रहे हैं
बस अब ये हमारे देश से चली जाए
जाकर किसी और दुनिया में बस जाए
वाकई।
समसामयिक।
कभी कभी तो सोच के घबरा जाते हैं हम
जवाब देंहटाएंये बीमारी कब होगी ख़तम
वैसे हम हर नियम का पालन कर रहे हैं
साफ सफाई और दो गज़ की दूरी का ध्यान रख रहे हैं
बस अब ये हमारे देश से चली जाए
जाकर किसी और दुनिया में बस जाए
वाकई।
समसामयिक।
बहुत बहुत आभार सधु जी, सादर नमस्कार!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार शिवम जी..
हटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंयशवंत जी, आपका बहुत-बहुत आभार..!
हटाएंयही प्रार्थना करते हैं हम हर दिन अब नहीं रह पा रहे हैं हम अपने दोस्तों और स्कूल के बिन..!''
जवाब देंहटाएंबच्चे तो बच्चे बड़ों का भी यही हाल है
जी, गगन जी सही कहा आपने..सादर नमन.।
जवाब देंहटाएंजी, गगन जी सही कहा आपने..सादर नमन.।
जवाब देंहटाएंये आई है तो अपने मन से ही जाएगी ... हाँ हमें तो बचाव के तरीके खोजने हैं और पालन करना है ...
जवाब देंहटाएंजी, सही कहा आपने, सादर नमन..
हटाएंबाल मनोभावों को बेहद ख़ूबसूरती से प्रस्फुटित किया है आपने, सुन्दर मासूमियत से लबरेज़ रचना।
जवाब देंहटाएंजी, बहुत बहुत आभार..आपको मेरा नमन..
जवाब देंहटाएंबच्चे मन के सच्चे होते हैं और जिस भाव में रहते वही बताते साथ ही उस बाल मन को सुंदर शब्दों में पिरोने वाला मन और भी सच्चा होता है ।
जवाब देंहटाएंजी, अमृता जी ! बहुत ज्यादा आभार आपका, जो आपने मुझ को लेकर प्रतिक्रिया दी..जीवन में ये बहुत बड़ी बात होती है जो आपके मन को कोई समझ ले..मेरी आज की कविता जरूर पढ़ें..वो भी मन से ही जुड़ी है..आदर सहित जिज्ञासा..
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