मातृभूमि का एक इंच, टुकड़ा लेकर दिखलाओ
गर हिम्मत है मेरे सम्मुख, सीना तान के आओ
यही प्रतिज्ञा लिए हुए हम, निकले अपने घर से
दुश्मन पीठ दिखाकर भागा,योद्धाओं के डर से
बाँधे कफ़न घूमते हैं हम, हम से आँख मिलाओ
ग़र हिम्मत है..
अपनी सीमा की रक्षा है, हमको जान से प्यारी
सिंचित कर दें खून से धरती, उठे जो नज़र तुम्हारी
धूर्त पड़ोसी सीमा में रह, इधर न नज़र उठाओ
ग़र हिम्मत है..
गर आक्रांता कोई, सीमा के अंदर आएगा
मिल जाएगा खाक में वो, फिर लौट नहीं पाएगा
ऐसे दुश्मन को मारो, धरती की प्यास बुझाओ
ग़र हिम्मत है..
गौरवशाली राष्ट्र हमारा,गौरवशाली सेना
आन बान औ शान की ख़ातिर, आता जीवन देना
एक मंत्र है देश के लिए, मिट्टी में मिल जाओ
ग़र हिम्मत है..
भाषा,नस्ल,धर्म,जाति पर, देश में जो हैं लड़ते
वही राष्ट्र की संप्रभुता को, खण्डित हर क्षण करते
बाहर अंदर के बैरी तुम, सजग जरा हो जाओ
ग़र हिम्मत है..
**जिज्ञासा सिंह**
शहीदों को नमन !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय सर।
हटाएंगर आक्रांता कोई, सीमा के अंदर आएगा
जवाब देंहटाएंमिल जाएगा खाक में वो, फिर लौट नहीं पाएगा
ऐसे दुश्मन को मारो, धरती की प्यास बुझाओ
ग़र हिम्मत है..///
बहुत सुंदर प्रिय जिज्ञासा जी!! वीर जवानों की अनुपम विरुदावली!! सीमा पर निष्ठा से अपना कर्तव्य निभाते वीर जवानों की ऋणी है मातृभूमि और हरेक देशवासी। वीर जवानों को सादर नमन!!🙏🙏🌷🌷💐💐
आपका बहुत बहुत आभार प्रिय रेणु जी,आपको मेरा सादर नमन।
हटाएंबहुत अच्छी एवं अवसरानुकूल कविता रची है आपने जिज्ञासा जी। अभिनंदन।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका।
हटाएंअद्भुत उत्साह भरती पंक्तियाँ। अतिशय साधुवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका।
जवाब देंहटाएंजवान हैं तभी देश है, देश है तभी हम हैं
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंशानदार🔥
जवाब देंहटाएंजय हिन्द!🇮🇳
बहुत बहुत आभार आपका।
जवाब देंहटाएंसुन्दर टंकार ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका🙏🌹
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