सुआ हरा हरा
आसमान भी हरा हरा
तलैया हरी हरी
निमिया हरी हरी
दृश्य लुभावन है
क्या सावन है ?
गाँव झूमे
बगिया झूमे
हरसिंगार झूमे
बाँसकोठी गिर गिर झूमे
बहे पुरवैया बयार सुहावन है
क्या सावन है
झींगुर गाए
पपिहा गाए
भौंरा गाए
गोरी गाए
कजरी,मल्हार मनभावन है
क्या सावन है
नौ मन बरखा
झर झर बरखा
झिमिर झिमिर बरखा
बदरी बरखा
सतरंगी छावन है
क्या सावन है
घंटा बजे
घड़ियाल बजे
डमरू बजे
करताल बजे
रग रग पावन है
क्या सावन है...
**जिज्ञासा सिंह**
बहुत सुन्दर सावन कि व्याख्या👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका।आपकी प्रशंसा को सादर नमन।
हटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (20-08-2021) को "जड़ें मिट्टी में लगती हैं" (चर्चा अंक- 4162) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद सहित।
"मीना भारद्वाज"
आदरणीय मीना जी, नमस्कार !
हटाएंचर्चा मंच में रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत आभार एवं अभिनंदन।शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह।
सावन की फुहार में भीगी सुहानी कविता रची है जिज्ञासा जी आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका।आपकी प्रशंसा को सादर नमन।
हटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंहमारे यहाँ तो सावन सूखा जा रहा है !
इंद्र देवता से कह कर थोड़ी झम-झम करवा ही दो.
बहुत बहुत आभार आपका।आपकी प्रशंसा को सादर नमन।
हटाएंसावन तो सदा पावन व सुहाना रहा है ! पर हम ही उसे डरावना बनाने पर उतारू हैं
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार गगन जी, ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति सदैव प्रोत्साहित करती है।
हटाएंसच है, क्या सावन है इस बार। बस बरसे ही जा रहा है।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार प्रवीण जी, आपको मेरा सादर नमन।
हटाएंनौ मन बरखा
जवाब देंहटाएंझर झर बरखा
झिमिर झिमिर बरखा
बदरी बरखा
सतरंगी छावन है
क्या सावन है---खूब गहन सृजन है जिज्ञासा जी।
संदीप जी, आपका बहुत बहुत आभार, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को सादर नमन।
हटाएंसुन्दर सावन मनभावन लुभावन !!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनुपमा जी ।
हटाएंबहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार मनोज जी ।
हटाएंहर एक के उमंग का यहाँ उमगावन है ... सच! बड़ा ही सुन्दर सावन है । हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अमृता जी ।
जवाब देंहटाएंरचना मनभावन है सच ही सावन है ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी 🙏🙏
जवाब देंहटाएंवाह!!!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्र के साथ बहुत ही मनभावन सावन।
लाजवाब सृजन।
आपका आभार सुधा जी ।
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