नदिया तू तो अम्मा जैसी


मेरे दुख सुन तू रो जाती,
मेरी खुशी में बिहँसी ।
नदिया तू तो अम्मा जैसी ।।

ऊबड़ खाबड़,कंकर,पत्थर,
खोहों में जब फंस जाऊँ ।
दुर्गम झंझावातों में,
उलझी उनको दिख जाऊँ ।।

अम्मा बिलकुल ऐसे तड़पें
तेरी लहरों जैसी ।

अवघट रस्तों में फंसकर,
मेरे कदम जरा भी फिसलें ।
जैसे सरिता में डूबी वो,
बाहर अंदर तड़पें, निकलें ।।

अम्मा रह रह ऐसे कटतीं,
तेरी कटानो जैसी ।

अपनों के सह व्यंग बाण,
जब उनके हिय लग जाऊँ ।
सागर की धारा में जैसे,
बूंद बूंद घुल जाऊँ ।।

मेरी जुदाई में वो झरतीं,
सूखी रेतों जैसी ।
नदिया तू तो अम्मा जैसी ।।

**जिज्ञासा सिंह**

22 टिप्‍पणियां:

  1. सुख दुख की साक्षी है नदिया!--बहुत सुंदर!--ब्रजेंद्रनाथ

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  2. बहुत बहुत आभार ब्रजेंद्रनाथ जी, आपको मेरा सादर नमन।

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 26 अगस्त 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. आपका बहुत बहुत आभार रवीन्द्र सिंह यादव जी, रचना के चयन के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।

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  4. बहुत बढ़िया सृजन। शुभकामनाएं आपको।

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  5. आपका बहुत बहुत आभार वीरेन्द्र जी,आपकी प्रशंसा को हार्दिक नमन एवम वंदन ।

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  6. अपनों के सह व्यंग बाण,
    जब उनके हिय लग जाऊँ ।
    सागर की धारा में जैसे,
    बूंद बूंद घुल जाऊँ ।।
    नदिया अम्मा जैसी!!
    सागर के हृदय लगती नदिया और अम्मा के हृदय लगती बेटी
    अद्भुत उपमा लाजवाब सजन
    वाह!!!

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    1. कविता को सार्थक बनाती आपकी प्रशंसा से अभिभूत हूं,आपको मेरा सादर नमन एवम वंदन ।

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  7. अहा, मन मोह लिया नदिया के ममत्व ने।

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    1. बहुत आभार प्रवीण जी,प्रशंसा के लिए, आपको मेरा सादर नमन ।

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  8. बहुत सुन्दर कोमल भाव अच्छी तुलना लिए उत्तम रचना, राधे राधे।

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    1. बहुत बहुत आभार सुरेंद्र शुक्ला जी,आपको मेरा सादर नमन ।

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  9. वाह
    माँ और नदियाँ एक जैसी
    सर्वोत्तम रचना

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    1. आपकी टिप्पणी सदैव कविता को सार्थक बना देती है, आपको मेरा सादर नमन एवम वंदन ।

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  10. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (27-08-2021) को "अँकुरित कोपलों की हथेली में खिलने लगे हैं सुर्ख़ फूल" (चर्चा अंक- 4169) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद सहित।

    "मीना भारद्वाज"

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  11. आदरणीय मीना जी,नमस्कार !
    मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार एवम अभिनंदन, हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई ।

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  12. वाह! बहुत ही शानदार और प्यारी रचना!

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  13. बहुत ही सुंदर हृदयस्पर्श सृजन।
    सादर

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  14. बहुत बहुत आभार अनीता जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन ।

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  15. वाह! अभिनव व्यंजना सुंदर सृजन , सुंदर कल्पना , सुंदर शब्द सौष्ठव।
    अभिनव सृजन जिज्ञासा जी।

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