क्षणिकाएँ.. गौरवमयी भाषा ( हिंदी दिवस )

हिंदी 
हिय में बसी
शीश चढ़ बिहँसी
जैसे बिन्दी

 वर्ण
होंठ से कंठ 
शोभित तालु आकंठ
माला जड़ित स्वर्ण

वर्णमाला
तालमय
सुरमय 
अमृत प्याला

 व्याख्या
शब्द एक
अर्थ अनेक
समुचित आख्या

परिभाषा
असंभव
और संभव
भरी आशा

व्याकरण
दुर्लभ
सुलभ
नहीं कोई आवरण

समृद्धि
संपूर्णता का ताज
भाषा सरताज
थोड़ी सी सिद्धि

अभिनंदन
हिंदी का 
 माथे से बिंदी का
हार्दिक मिलन

आस
जगत की आधार
भाषाओं की खेवनहार
विश्वास

शुभकामना
उत्थान उत्कर्ष
गाह्य सहर्ष
प्रार्थना

**जिज्ञासा सिंह**

24 टिप्‍पणियां:

  1. जय हिंदी !
    निज-भाषा उन्नति का संदेसा
    हिंदी भाषी भूल गए
    अंग्रेज़ी का चढ़े मुलम्मा
    इसीलिए स्कूल गए

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    1. बहुत बहुत आभार आभार आपका आदरणीय सर, बहुत सही बात कही आपने।

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  2. समृद्ध है हिंदी
    फिर भी लोग करते
    इसकी चिन्दी चिन्दी ।

    धीरे धीरे फहरा रही
    अपना परचम
    कोई माने या न माने
    हर पल
    बढ़ रही हरदम ।।

    बहुत खूबसूरती से व्याख्या करी है ।

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    उत्तर
    1. आपकी ये आशु पंक्तियाँ सृजन को सार्थक कर गईं,बिल्कुल सही कहा है आपने,आपको मेरा नमन।

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (12-9-21) को "है अस्तित्व तुम्ही से मेरा"(चर्चा अंक 4185) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा


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  4. कामिनी जी, चर्चा मंच में रचना को स्थान देने के लिए सदैव आपकी आभारी हूँ, निरंतर आपका स्नेह नव सृजन की प्रेरणा देता है, शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह।

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  5. वर्णमाला
    तालमय
    सुरमय
    अमृत प्याला
    बहुत सुन्दर
    सादर

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  6. हिंदी
    अनेक रंगों की
    माथे पर बिंदी !!

    सुंदर व्याख्या !!

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  7. हिंदी
    हिय में बसी
    शीश चढ़ बिहँसी
    जैसे बिन्दी

    वाह!!बहुत सुंदर

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  8. बहुत बढ़िया क्षणिकाएं हैं। हिन्दी के प्रति आपका सम्मान सराहनीय है।

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  9. शुभकामना
    उत्थान उत्कर्ष
    गाह्य सहर्ष
    प्रार्थना
    वाह…कम चुने हुए शब्दों में बहुत कुछ कह दिया आपने !

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  10. संदर्भ पर प्रकाश डालती आपकी प्रशंसा को सादर नमन ।

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  11. आपकी लेखनी से और भी समृद्ध हो रही है हमारी हिन्दी । शुभ आशीष सर्व सिद्धि के लिए । अति सुन्दर सृजन के लिए हार्दिक बधाई भी ।

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  12. आपका आभार। टिप्पणी अभिभूत कर गई,कृपया अभिनंदन स्वीकार करें।

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  13. हिन्दी को सुशोभित करती लाजवाब क्षणिकाएं।
    वाह!!!

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  14. बहुत सुंदर जिज्ञासा जी निज भाषा पर मंथन करके लिखी सुंदर मनभावन क्षणिकाएं।

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  15. बहुत बहुत आभार आपका । आपकी प्रशंसा को सादर नमन एवम वंदन।

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