गुरु का वंदन कीजिए, कर गुरुओं को याद ।
गुरु ने डाली बीज में, ज्ञान बुद्धि की खाद ।।
ज्ञान बुद्धि की खाद, हमें एक वृक्ष बनाती ।
मीठे फल से लदी हुई, दिखती हर पाती ।।
गुरु के कर्ज हजार, लगाऊँ गुरु को चंदन ।
जिज्ञासा की आस, करें सब गुरु का वंदन ।।
शिक्षक ही निर्मित करे, मानव हृदय महान ।
क्षमा, दया, सद्भाव के, होते शिक्षक खान ।।
होते शिक्षक खान, विराजें उर में गणपति ।
देते विद्या-बुद्धि, शक्ति, सन्मति औ सद्गति ।।
सदा विश्व को मार्ग दिखाते, पंथ प्रदर्शक ।
जिज्ञासा भगवान, बराबर होते शिक्षक ।।
शिक्षक शिक्षा दे भली, अंतर्मन खुल जाय ।
शिक्षित सारा कुटुम हो, जगत समूल समाय।।
जगत समूल समाय, पशू, पक्षी नर ।
गोता खूब लगाय, गंग या बहे सरोवर ।।
भावों का विस्तार, सदा दुविधा से रक्षक ।
जिज्ञासा का नमन, भली दें शिक्षा शिक्षक ।।
**जिज्ञासा सिंह**
सार्थक कुंडलियाँ ।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी । आपको मेरा सादर अभिवादन ।
हटाएंबहुत सुंदर रचना,जिज्ञासा दी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी, आपकी प्रशंसा को हार्दिक नमन ।
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (06-09-2021 ) को 'सरकार के कान पर जूँ नहीं रेंगी अब तक' (चर्चा अंक- 4179) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आपका बहुत बहुत आभार रवीन्द्र सिंह यादव जी,मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन । बहुत शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत ही ज्ञानमयी बातें।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार प्रवीण जी ।
हटाएंवाह जिज्ञासा !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और भावपूर्ण कुण्डलियाँ !
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय सर 🙏🙏आप जैसे गुरु को मेरा सादर नमन एवम वंदन ।
हटाएंबहुत सुन्दर जिज्ञासा !
जवाब देंहटाएंरोचक और मनोहारी कुंडलियाँ !
🙏🙏
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत ही सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बहुत आभार अनीता जी ।
हटाएंवाह! बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएँ आपको । अति सुन्दर गुरुभाव को सुंदरता से पिरोया है ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अमृता जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कुण्डलिया, जिज्ञासा दी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ज्योति जी ।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार 5 सितम्बर ,2022 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
बहुत बहुत आभार दीदी !
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुंदर और सराहनीय सृजन जिज्ञासा जी।
जवाब देंहटाएंहर विधा में आपकी रूचि और सृजनशीलता आपकी प्रतिभा सराहनीय है।
सस्नेह।
शिक्षक दिवस पर बहुत ही सुंदर एवं सार्थक कुण्डलिया
जवाब देंहटाएंवाह!!!!
सन्मति औ सद्गति करे, मानव हृदय महान ।
क्षमा, दया, सद्भाव के, होते शिक्षक खान ।।
सुंदर शब्दों की लड़ी !👌👌
जवाब देंहटाएंवाह! इन प्यारी कुंडलियों ने अपनी हर कुंडली के गागर में भावों का सागर समा रखा है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कुडलियाँ सखी शब्द -शब्द मोती से जुड़े हुए
हटाएंबहुत सुंदर भाव प्रवण कुण्डलियाँ जिज्ञासा जी ।
जवाब देंहटाएंमैसेंजर पर देखिएगा।