गुरु का वंदन ( कुंडलियाँ )

गुरु का वंदन कीजिए, कर गुरुओं को याद ।
गुरु ने डाली बीज में, ज्ञान बुद्धि की खाद ।।
ज्ञान बुद्धि की खाद, हमें एक वृक्ष बनाती ।
मीठे फल से लदी हुई, दिखती हर पाती ।।
गुरु के कर्ज हजार, लगाऊँ गुरु को चंदन ।
जिज्ञासा की आस, करें सब गुरु का वंदन ।।

शिक्षक ही निर्मित करे, मानव हृदय महान ।
क्षमा, दया, सद्भाव के, होते शिक्षक खान ।।
होते शिक्षक खान, विराजें उर में गणपति ।
देते विद्या-बुद्धि, शक्ति, सन्मति औ सद्गति ।।
सदा विश्व को मार्ग दिखाते, पंथ प्रदर्शक ।
जिज्ञासा भगवान, बराबर होते शिक्षक ।।

 शिक्षक शिक्षा दे भली, अंतर्मन खुल जाय ।
शिक्षित सारा कुटुम हो, जगत समूल समाय।।
जगत समूल समाय, पशू, पक्षी नर ।
गोता खूब लगाय, गंग या बहे सरोवर ।।
भावों का विस्तार, सदा दुविधा से रक्षक ।
जिज्ञासा का नमन, भली दें शिक्षा शिक्षक ।।

**जिज्ञासा सिंह**

28 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी । आपको मेरा सादर अभिवादन ।

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  2. बहुत सुंदर रचना,जिज्ञासा दी।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी, आपकी प्रशंसा को हार्दिक नमन ।

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  3. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (06-09-2021 ) को 'सरकार के कान पर जूँ नहीं रेंगी अब तक' (चर्चा अंक- 4179) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  4. आपका बहुत बहुत आभार रवीन्द्र सिंह यादव जी,मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन । बहुत शुभकामनाएं ।

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  5. वाह जिज्ञासा !
    बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कुण्डलियाँ !

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    1. आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय सर 🙏🙏आप जैसे गुरु को मेरा सादर नमन एवम वंदन ।

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  6. बहुत सुन्दर जिज्ञासा !
    रोचक और मनोहारी कुंडलियाँ !

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  7. हार्दिक शुभकामनाएँ आपको । अति सुन्दर गुरुभाव को सुंदरता से पिरोया है ।

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  8. बहुत सुंदर कुण्डलिया, जिज्ञासा दी।

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  9. आपकी लिखी रचना सोमवार 5 सितम्बर ,2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  10. जिज्ञासा सिंह5 सितंबर 2022 को 10:43 am बजे

    बहुत बहुत आभार दीदी !

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  11. अत्यंत सुंदर और सराहनीय सृजन जिज्ञासा जी।
    हर विधा में आपकी रूचि और सृजनशीलता आपकी प्रतिभा सराहनीय है।
    सस्नेह।

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  12. शिक्षक दिवस पर बहुत ही सुंदर एवं सार्थक कुण्डलिया
    वाह!!!!
    सन्मति औ सद्गति करे, मानव हृदय महान ।
    क्षमा, दया, सद्भाव के, होते शिक्षक खान ।।

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  13. वाह! इन प्यारी कुंडलियों ने अपनी हर कुंडली के गागर में भावों का सागर समा रखा है।

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    1. बहुत ही सुन्दर कुडलियाँ सखी शब्द -शब्द मोती से जुड़े हुए

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  14. बहुत सुंदर भाव प्रवण कुण्डलियाँ जिज्ञासा जी ।
    मैसेंजर पर देखिएगा।

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