प्रीत की धुन


पिया तोहे नैनन आज बसाऊँ


ऐसी रुत ने अगन लगाई

प्रीत की धुन में है बौराई 

जल स्वाहा हो जाऊँ 

पिया तोहे नैनन आज बसाऊँ


आज अधर मोरे कुसुम खिले हैं,

मधुमय होकर भ्रमर मिले हैं 

मैं प्यासी रह जाऊँ...

पिया तोहे नैनन आज बसाऊँ


अँखियन मोरे घटा घिरी है 

नीर भरी जैसे बदरी है 

छलक छलक रह जाऊँ

पिया तोहे नैनन आज बसाऊँ


आकुल तन मोरा व्याकुल मन है 

तुम बिन सूना ये जीवन है 

कैसे धीर धराऊँ 

पिया तोहे नैनन आज बसाऊँ


आओ सजन मोरी प्रीत बुझाओ 

एक झलक मोहे आज दिखाओ 

डूब डूब इतराऊँ 

पिया तोहे नैनन आज बसाऊँ


क्षण बीते जैसे बीत रहा युग

साथ तुम्हारा चाहूँ पग पग

आओ हृदय बसाऊँ

पिया तोहे नैनन आज बसाऊँ 


**जिज्ञासा सिंह**

12 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (31-10-21) को "गीत-ग़ज़लों का तराना, गा रही दीपावली" (चर्चा अंक4233) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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  2. बहुत बहुत आभार कामिनी जी,रचना के चयन के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन ।सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।

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  3. भावभीना गीत रचा आपने जिज्ञासा जी। मनमोहक। हृदयस्पर्शी।

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    1. आपकी टिप्पणी को मेरा सादर नमन एवम वंदन आदरणीय जितेन्द्रvजी।

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  4. हृदय स्पर्शी!
    विरह श्रृंगार का शानदार सृजन जिज्ञासा जी , सुंदर भाव हैं हृदय की गहराई से निकले उद्गार।

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  5. बहुत बढ़िया प्रिय जिज्ञासा जी। प्रियतम के लिए आतुर विरहणी नायिका की व्यथा का सान्गोपांग वर्णन 👌👌 सुन्दर और मन मोहक रचना के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आपको 🌷🌷❤️❤️

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  6. ⁶बहुत बहुत आभार रेणु जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन ।

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  7. अति सुन्दर मनमोहक रचना प्रिय जिज्ञासा जी।
    ढेरों शुभकामनाएं।

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  8. बहुत बहुत आभार आदरणीय उर्मिला दीदी,आपको मेरा सादर नमन एवम वंदन । धनतेरस और दीवाली पर आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ।

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