उड़ती पतंग सी मैं ।
फूलों के रंग सी मैं ।।
उड़ जाऊँ आसमाँ तक ।
खिल जाऊँ बागबाँ तक ।।
सातों ही रंग मुझमें ।
जो इंद्रधनुष तुझमें ।।
तू बादलों पे छाए ।
पर मुझको ले न जाए ।
मैं हूँ बड़ी सुकोमल ।
नाजुक बड़ी मैं चंचल ।।
ले डोर का सहारा ।
देखूँ मैं जग ये सारा ।।
बस डोर थामना तू ।
है मेरी कामना तू ।।
तू है तो मैं हूँ ऊँची ।
तुझसे गगन पे पहुँची ।।
तूने दिया सहारा ।
तब स्वयं को सँवारा ।।
ये बंधनों का खेला ।
तुझसे ही मेरा मेला ।।
मेले में खेल सौ हैं ।
हम खेलते ही वो हैं ।।
कुछ खेल हैं निराले ।
वो खेलने हैं वाले ।।
रंगों भरी पतंगें
देती हैं उड़ उमंगें
उड़ने का आज मन है।
बहती सुखद पवन है ।।
पकड़ो न डोर मेरी ।
औ मैं लगाऊँ फेरी ।।
धरती से आसमाँ की ।
ब्रम्हाण्ड की, जहाँ की ।।
मेरा सभी से नाता ।
अब बंध न सुहाता ।।
सब बंध्य तोड़ती मैं ।
उड़ती पतंग सी मैं ।।
**जिज्ञासा सिंह**
तोड़ सारे बन्धनों को, उड़ती रह !
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया मुझे हमेशा एक और रचना का मुखड़ा देकर हमेशा बड़ा आनंदित करती हैं । बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय सर 🙏
हटाएंमैं पतंग तू डोर ......खूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआपकी टिप्पणी देख बहुत हर्ष होता है, आपके स्नेह और प्रेरणा का हार्दिक आभार आदरणीय दीदी 🙏💐
जवाब देंहटाएंपकड़ो न डोर मेरी ।
जवाब देंहटाएंऔ मैं लगाऊँ फेरी ।।
धरती से आसमाँ की ।
ब्रम्हाण्ड की, जहाँ की ।।
बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति.. !
बहुत बहुत आभार प्रिय मनीषा ।
हटाएंबेहद सुंदर कृति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका विनीता जी ।
जवाब देंहटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार (23-12-2021 ) को 'नहीं रहा अब समय सलोना' (चर्चा अंक 4287) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:30 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
रचना को चर्चा प्रस्तुति तक पहुंचाने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी । मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार आदरणीय अनुराधा जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति, जिज्ञासा दी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ज्योति जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन ।
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