पर्णी पादप सभा लगी है
मचा कोलाहल भारी
गिद्ध, कबूतर, बगुला आए
औ गौरैया प्यारी ।
शनैः-शनैः उड़े आ रहे
रंगबिरंगे पक्षी
शाकाहारी चोला धारे
बैठे मांस भक्षी
दावत और बगावत से
पद लेने की तैयारी ।।
कर्कश ध्वनि में भाषण देते
कौआ बन कर वक्ता
मैना रानी हैं विपक्ष की
सबसे बड़ी प्रवक्ता
आज सभी को नंगा
करने की समग्र तैयारी ।।
कौन हमें जो खाना देगा
कौन बनाए नीड़
कौन लगाए ऐसी बगिया
जहाँ आम संग चीड़
कौन हमें उड़ने को अंबर
चर्चा सबमें जारी ।।
गिद्ध महोदय दूर गए
उड़ नदी किनारे बैठे
बगुला वंश स्वयं की मछली
न डालो तो ऐंठें
गद्दी पर है धमाचौकड़ी
सब हैं सब पर भारी ।।
**जिज्ञासा सिंह**
बहुत सुंदर चित्रण
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शकुंतला जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया का हार्दिक स्वागत है👏🌹
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत ही खूबसूरत😍
जवाब देंहटाएंपक्षियों के जरिए आपने वर्तमान की प्रस्थिति को बयां कर दिया!
बहुत ही बेहतरीन तरीके से वर्तमान राजनीति को व्यक्त किया है आपने!
लेकिन एकबार आपकी यह रचना पढ़कर बचपन की कहानियां व कविताएँ याद आ गई🥰
सार्थक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार प्रिय मनीषा 💐💐
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (02-02-2022) को चर्चा मंच "बढ़ा धरा का ताप" (चर्चा अंक-4329) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय शास्त्री जी, प्रणाम 👏
हटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार । आपको और चर्चा मंच को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं💐💐
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 2 फरवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्
पांच लिंकों का आनंद में मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार । आदरणीय पम्मी सिंह तृप्ति जी । आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं💐💐
हटाएंवाह बहुत ही सुन्दर समसामयिक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार अभिलाषा जी । रचना की प्रशंसा के लिए आपका सादर धन्यवाद ।
हटाएंपक्षियों के माध्यम से नेताओं पर करारी चोट ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी । आप को मेरा सादर अभिवादन 👏💐
हटाएंलाजवाब रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार यशवंत जी । ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी का सदा स्वागत है । आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंमनुष्यों में चलता जिसकी लाठी उसकी भैंस
जवाब देंहटाएंपक्षी भी कुछ ऐसा समाधान ढूंढ लें तो...
–बहुत सुन्दर रचना
जी,आपकी इस तरह की विवेचना की कायल हूं ।
हटाएंआपको मेरा नमन और वंदन ।
ब्लॉग पर आपका आना बहुत खुशी दे जाता है ।
कौन हमें जो खाना देगा
जवाब देंहटाएंकौन बनाए नीड़
कौन लगाए ऐसी बगिया
जहाँ आम संग चीड़
कौन हमें उड़ने को अंबर
चर्चा सबमें जारी ।।
वाह!!!
फोकट की चाह और फ्री फ्री फ्री की सियासत पर करारा व्यंग कसती बहुत ही लाजवाब भावाभिव्यक्ति।
बहुत आभार सखी ।आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया रचना को सार्थक कर रही ।
हटाएंसच गद्दी का खेल ही निराला है
जवाब देंहटाएंयही सबकुछ चल रहा है आजकल सरेआम
बहुत सुन्दर
कविता जी, आपकी प्रतिक्रिया मेरे नव सृजन का आधार हैं,आपको मेरा नमन और वंदन कविता जी ।
हटाएंवाह!बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बहुत आभार अनीता जी ।
हटाएंवाह ! बड़ी सुंदर रचना है। बार बार पढ़ने और पढ़ाने योग्य।
जवाब देंहटाएंदावत और बगावत से
पद लेने की तैयारी ।।....
मैना रानी हैं विपक्ष की
सबसे बड़ी प्रवक्ता
आज सभी को नंगा
करने की समग्र तैयारी ।।
हर छंद में प्रभावपूर्ण रूपकों का प्रयोग।
आप कैसी विदुषी की रचना की समीक्षा करती प्रतिक्रिया अभिभूत कर गई ।बहुत आभार आपका मीना जी । आती रहा करिए । विनम्र निवेदन है ।
जवाब देंहटाएंपर्णी पादप सभा लगी है
जवाब देंहटाएंमचा कोलाहल भारी
गिद्ध, कबूतर, बगुला आए
औ गौरैया प्यारी ।
😂😀😀 ये पंछी- प्राणियों के रूप में , शब्दों मेंबहुत बढ़िया तरीके से धूर्त नेताओं की सभा सजा दी प्रिय जिज्ञासा जी। रोचक प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।
बहुत abhut आभार सखी अवलोकन के लिए ।
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