बालगीत (१)पानी देखो नहीं गिराना(२) ताल तलैया मुझको प्यारी


पानी देखो नहीं गिराना

बूंद बूंद से जल की धारा
सिंचित होता खेत हमारा
खेतों में अनाज लहराना ।
पानी देखो नहीं गिराना ।।

पीने का पानी है बहुत कम
पिएं, मगर फेंके न उसे हम
बहने से है उसे बचाना ।
पानी देखो नहीं गिराना ।।

पानी बिन जंगल न होंगे
पशु, पक्षी, बादल न होंगे
न नाचेगा मोर सुहाना ।
पानी देखो नहीं गिराना ।।

पानी से भोजन है पकता
लोग नहाते, कपड़ा धुलता
पानी बिन पड़ता मर जाना ।
पानी देखो नहीं गिराना ।।

अतः सहेजो ऐसे पानी 
जैसे अपनी प्यारी नानी
दादा, दादी, प्यारे नाना ।
पानी देखो नहीं गिराना ।।

(२)ताल तलैया मुझको प्यारी

पर दिखती है नहीं मुझे वो
दादी कहतीं सूख गई वो
उससे सिंचती थी फुलवारी ।

बरखा में भर जाती थी
चिड़ियां लाखों आती थीं
रंगबिरंगी मछली न्यारी ।

सिंघाड़े से सज जाती थी
बचपन में मैं बतियाती थी
जब डोंगी की करूं सवारी ।।

तैरें बतख, श्वेत वो बगुले
मेढ़क कूदे, उठे बुलबुले
कछुआ, चले चाल मतवारी ।

एक तलैया बची हुई है
वो भी आधी सूख गई है
मुझको करनी उससे यारी ।
ताल तलैया मुझको प्यारी ।।

**जिज्ञासा सिंह**

29 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय सर ।आपकी प्रशंसा को नमन और वंदन ।

      हटाएं
  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ४ फरवरी २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रचना के चयन के लिए आपका बहुत बहुत आभार श्वेता जी, पांच लिंकों का आनंद पर रचना का चयन होना बहुत हर्ष का विषय है मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐👏👏

      हटाएं
  3. दोनों ही बालगीत बहुत सुंदर और प्रेरक ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी । आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया हमेशा मेरा मनोबल बढ़ाती है,आपको मेरा सादर अभिवादन 👏💐

      हटाएं

  4. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (०४ -०२ -२०२२ ) को
    'कह दो कि इन्द्रियों पर वश नहीं चलता'(चर्चा अंक -४३३१)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. रचना के चयन के लिए आपका बहुत बहुत आभार अनीता जी, चर्चा मंच रचना का चयन होना बहुत हर्ष का विषय है मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐👏👏

    जवाब देंहटाएं
  6. जल का महत्व बताते दोनों गीत बहुत प्यारे हैं प्रिय जिज्ञासा जी। जल ही जीवन है। हर तरह से इसका संचयन ही जीवन को चिरायु बनाने का प्रतीक है सरस और सरल शब्दों में सजी-संवरी अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आपको।

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  7. बहुत सुंदर प्रेरणादायक बालगीत

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  8. बहुत ही प्यारी रचना😍💓
    बचपन में बारिश का मज़ा ही और होता था!
    गीले पेड़ों पर चढ़ना, पगडंडियों पर जान बूझकर फिसलना....सब कितना खूबसूरत था!

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  9. सुंदर प्रेरक बालगीत सजगता बढ़ाने वाले गीतों , कविताओं और कहानियों की बहुत जरूरत है।
    बहुत सुंदर जिज्ञासा जी।

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    उत्तर
    1. एक प्रेरक प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत आभार कुसुम जी ।

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  10. अच्छी आदतें बचपन से ही डालनी चाहिए ! संस्कारों का महत्व तो हम सभी को पता है !

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  11. जी,सही कहा आपने । आपकी सार्थक प्रतिक्रिया को सादर नमन एवम वंदन ।

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  12. सुंदर बाल गीत जिज्ञासा जी ।
    बधाई ।

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  13. बहुत सुन्दर और सीखप्रद बालगीत । बच्चों को गीतों कविताओं के माध्यम से सीखाना बहुत जरूरी है । आपका सृजन बच्चों के साथ बड़ों के लिए भी प्रेरक है।

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