मात्र बस दो गज की दूरी
और जानें बच गईं,
एक गज बस एक गज
तुम दूर रहना
ज़िंदगी बन जाऊँगी ।
वक्त का वरदान तुमसे चाहिए,
जिंदगी है वक्त मुझसे माँगती ।
एक तिनका आँख में जो चुभ रहा,
ढूँढना एकाग्र होकर चाहती ।।
क्या किया क्या कुछ मिला ये सोचना है ?
अंत में कुछ और क्या कर पाऊँगी ?
जिंदगी बन जाऊँगी ।।
आसमाँ में जो लगाते छेद हैं,
चरण अब उनका गहूँगी ।
बैठ जाऊँगी मैं मस्तक ये झुका के,
शरण गह, नव अंकुरण मैं अब करूँगी ।।
उग सकूँगी फल सकूँगी पेड़ बनकर,
पुष्प मैं डलिया में भर ले आऊँगी ।
जिदंगी बन जाऊँगी ।।
जब चलूँ तो तुम न मुझको टोकना।
दूर हैं मंजिल की राहें हैं कठिन ।
चुभ हैं सकते कंकणों के पर नुकीले,
पहुँचने के करने हैं लाखों जतन ।।
पंथ पथरीले घनेरी रात में भी,
चाँदनी बन मार्ग पर मैं छाऊँगी ।
जिंदगी बन जाऊँगी ।।
ये कोई मुख से न निकली बात है,
बात है ये युग युगों से चल रही ।
उर के तहखाने में बैठी रात दिन,
मोक्ष के विश्वास में पल पल रही ।।
अब उसे मुक्ति दिलानी है मुझे,
सुगमता का मार्ग हर दिखलाऊँगी ।।
जिंदगी बन जाऊँगी ।।
**जिज्ञासा सिंह**
चित्र साभार गूगल
आशा का संचार करती बहुत सुंदर रचना, जिज्ञासा दी।
जवाब देंहटाएंतारीफ के लिए आपका हार्दिक आभार ज्योति जी ।
हटाएंवक्त का वरदान तुमसे चाहिए,
जवाब देंहटाएंजिंदगी है वक्त मुझसे माँगती ।
एक तिनका आँख में जो चुभ रहा,
ढूँढना एकाग्र होकर चाहती ।।
पंथ पथरीले घनेरी रात में भी,
चाँदनी बन मार्ग पर मैं छाऊँगी ।
बहुत सुन्दर पंक्ति । आपसे शब्दों का गठजोड़ सीखना है मुझे ।
भाव से भरी सुन्दर रचना ।
प्रशंसा युक्त प्रतिक्रिया नव सृजन का संबल बनती है स्नेह बनाए रखें ।
हटाएंआप के ब्लॉग पर गई थी ।कॉमेंट ऑप्शन नहीं खुला । ज्यादा ज्ञान नहीं, पर को आता है, उसमें जो भी आपको सीखना हो हाजिर हूं।
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत आभार भारती जी ।
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२१-०५-२०२२ ) को
'मेंहदी की बाड़'(चर्चा अंक-४४३७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
रचना को चर्चा मंच में चर्चा के लिए चयन होना हर्ष का विषय है
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका अनीता जी । सादर शुभकामनाएं ।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 22 मई 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सादर अभिवादन दीदी । पांच लिंको में मेरी रचना के चयन के लिए आपका बहुत बहुत आभार ।मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
हटाएंज़िंदगी से बड़ी भेंट कोई किसी को क्या दे सकता है।सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार रश्मि जी ।
हटाएंNice Sir .... Very Good Content . Thanks For Share It .
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जिंदगी बन जाऊंगी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सार्थक सृजन
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
जवाब देंहटाएंचलते रहना ही जीवन है !!बहुत सुंदर !!
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका अनुपमा जी ।
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका संजय जी ।
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