जल,अग्नि,भू, नभ, वायु
का इस हृदय में संयोग हो ।
आइए नित भोर संग
हम योग कर निरोग हों ॥
ये सृष्टि, ये धरती, गगन
ये प्रकृति, ये सुंदर चमन ।
ये मेघ, ये शीतल हवा
सबको करें मन में ग्रहन ॥
करें आचमन पंचतत्व का,
अपने पराए लोग हों ।
आइए नित भोर संग
हम योग कर निरोग हों ॥
हमने स्वयं की आत्मा
परमात्मा को त्याग कर ।
मूल्य-संस्कृति को भुलाया
दूसरों की नक़ल कर ॥
फिर से जुड़ें अपनी जड़ों से
एकता का योग हो ।
आइए नित भोर संग
हम योग कर निरोग हों ॥
इस राष्ट्र की हर चेतना
उस राष्ट्र ने अपना लिया ।
जिसने न जाना योग को
न प्रकृति की पूजा किया ॥
हम से बड़ा मूरख नहीं
जो पूजते उपभोग हों ।
आइए नित भोर संग
हम योग कर निरोग हों ॥
जो भी मनुज गह योग को
सुख स्वास्थ्य का अपना रहे ।
वे ही समय के साथ चलकर
प्रगति का मग पा रहे ॥
ले मंत्रणा गुरु से, स्वयं से
भाव से शिवयोग हों ।
आइए नित भोर संग
हम योग कर निरोग हों ॥
**जिज्ञासा सिंह**
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-06-2022) को चर्चा मंच "बहुत जरूरी योग" (चर्चा अंक-4468) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय शास्त्री जी ।
हटाएं
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 22 जून 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
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पुन: भेंट होगी..
बहुत बहुत आभार आपका पम्मी जी ।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-06-2022) को पांच लिंको का आनन्द पर भी है
जवाब देंहटाएंसादर
जी आभार दीदी ।
हटाएंवाह।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शिवम जी ।
हटाएंयोग दिवस पर सुंदर और सार्थक संदेश ।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आदरणीय दीदी।
जवाब देंहटाएंजल,अग्नि,भू, नभ, वायु
जवाब देंहटाएंका इस हृदय में संयोग हो ।
आइए नित भोर संग
हम योग कर निरोग हों ॥
योग दिवस पर बहुत सुन्दर और सार्थक संदेश देती बहुत सुन्दर कृति ।
बहुत-बहुत आभार मीना जी ।
हटाएंआइए नित भोर संग
जवाब देंहटाएंहम योग कर निरोग हों ॥
बहुत ही सुंदर आवाहन,योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं जिज्ञासा जी
बहुत बहुत आभार प्रिय कामिनी जी ।
हटाएंयोग यानि आत्मा का परमात्मा से मिलन!!!
जवाब देंहटाएंयोग की महिमा बढ़ाती अनमोल रचना प्रिय जिज्ञासा जी 🌺🌺♥️♥️
बहुत-बहुत आभार आपका रेणु जी ।
हटाएंबहुत सुंदर प्रकृति के अनुरूप सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार आपका भारती जी ।
हटाएंयोग: चितवृति निरोध: सुंदर सृजन आदरणीय
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार आपका आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बहुत आभार आपका अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंअच्छी और सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर
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