गिरधर कब अइहैं.. गीत


 राधिके ! मधु बोलो कछु बोल

तुम्हरे बचन कान्हा बेल्मैहैं,

घूमत अइहैं डोल 

राधिके ! मधु बोलो कछु बोल 


जब से गए सुधि बिसरि गए हैं

हम उनके बिनु बाँझि भए हैं

ढरक-ढरक दोहज बहे हिय से

अधर खुश्कअनबोल 

राधिके ! मधु बोलो कछु बोल 


चरत धेनुजमुना बिच कूदीं

ग्वालिन नयन परी हैं मूँदीं

गिरि आतुरगिरधर कब अइहैं

अंगुलि घुमइहैं गोल  

राधिके ! मधु बोलो कछु बोल 


अइसे जगत नाहिं कोई छोड़े

 प्रिय-प्रेमी संग नाता तोड़े

चलत घरी बूझा नहिं मनवा

पियत अरंडी घोल 

राधिके ! मधु बोलो कछु बोल 


**जिज्ञासा सिंह**

13 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! पता नहीं राधिके कब कछु बोलेंगी🌹😄🙏

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 27 अक्टूबर 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  3. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार 27 अक्टूबर 2022 को 'अपनी रक्षा का बहन, माँग रही उपहार' (चर्चा अंक 4593) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

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    1. मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार और अभिनंदन। भैया दूज की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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  4. इस मधु बोल से मन रहा है डोल.… अति मनभावन गीत। हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  5. आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं

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