बेटियों को समर्पित गीत.. तू बड़ी बिंदास है

 


तुझे मैं जानती हूँ

तू बड़ी बिंदास है,

करके ठानेगी

जो तेरे मन में है 


अरे जा कर ले अपने 

मन का मेरी बावरी,

तुझे मैं सौंप दूँगी फूल

 जो मेरे चमन में है 


घटाएँ गर ज़रा घुमड़ीं

किसी विपरीत बादल में 

सहम बरसेंगी आकर वे

स्वयं ही तेरे आँचल में 

सिंधु जो अतल गहरा

ये विस्तृत नभ है तेरा,

मैं धरती सौंप दूँगी

जो बसी मेरे नयन में है 


चलेगी तू जिधर भी

राह बनती जाएगी 

एक दिन चाँद पर

चढ़कर मुझे दिखलाएगी 

सुना होगा कि मछली

के नयन बेधे गए थे,

है सधता साधना से वाण

शक्ति गर लगन में है 


राह जो भटकना 

तो पलटना, पीछे मैं होऊँगी।

पकड़ लूँगी मैं तेरी बाँह

तेरे साथ चल दूँगी 

हूँ कहती मैं कभी दीवार

जैसे थिर नहीं रहना,

बादलों संग उड़ना खुल के

जा लगना गगन में है 


**जिज्ञासा सिंह**

14 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 07 नवम्बर 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. वाह!बहुत खूबसूरत गीत जिज्ञासा जी ।

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  3. आशा और विश्वास जगाता सुंदर सृजन!

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  4. उत्तर
    1. आपका हार्दिक आभार आदरणीय शांतनु जी ।आपकी प्रतिक्रिया ने रचना को सार्थक कर दिया ।नमन और वंदन ।

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  5. आदरणीया मैम, सादर प्रणाम । बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ । आपका आशीष मुझे और मेरी रचनाओं को मिलता रहता है परंतु मई नियमित नहीं आ पाती पर प्रयास जारी है । आज आपकी इतनी सुंदर रचना पढ़ कर मन आनंदित है। हर बेटी को समर्पित बहुत ही भावपूर्ण और आनंदित करने वाली रचना । आज बेटियों को सशक्त बनाने के लिए हमें उन्हें ऐसे ही उल्लास और विश्वास भरे गीत देने चाहिए । बेटियों के सशक्तिकरण को गंभीर और व्याकुलता का विषय न बना कर आनंदित और उत्साह का रूप देती रचना बहुत ही सुंदर लगी । पुनः प्रणाम एवं आभार ।

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  6. प्रिय अनंता तुम्हारी जैसी बेटियां हम मांओं की प्रेरणा हैं, सच मुझे बेटी विमर्श को लेकर बड़े बड़े विचार और बड़ी बड़ी बातें कभी समझ नहीं आतीं। बस हर बेटी को उसका अपना ही आसमान मिल जाए । वो अपने पंखों का निर्माण खुद ही कर लेती है ।
    तुम्हें स्नेह और आशीष। ब्लॉग पर पहुंचती हूं अपनी अनंता को पढ़ने के लिए😀😀

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  7. बेटी को अद्भूत उद्बोधन प्रिय जिज्ञासा जी!
    बेटियाँ माँ के अधूरे सपनों की यात्रा को आगे बढ़ाती है।बेटियों को उड़ने के लिए उनका विस्तृत आकाश चाहिये।ये समय उनके उन्मुक्त उड़ान भरने का है।एक प्रेरक सृजन के लिए बधाई और शुभकामनाएं।

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  8. मैं तो पिता हूँ किन्तु मेरी भी अपनी पुत्री के निमित्त यही भावनाएं हैं।

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