चाँद पर तुम भी चलो हम भी चलें,
देखते हैं कौन पहले पहुँचता है।
एक पत्थर तुम उछालो एक हम,
चाँद के उस पार किसका निकलता है॥
था अगर मामा तो चंदा था हमारा,
विश्व की टूटी हैं अब खामोशियाँ।
पहुँचने को थे सभी तैयार बैठे,
हम पहुँच कर बन गए हैं सुर्ख़ियाँ॥
आत्मसंयम साधना बुद्धि व शक्ति,
पहुँचने का का मंत्र धीरज सजगता है।
चाँद पर इतिहास रच वैज्ञानिकों ने,
कर लिया अधिकार अपना सर्वसम्मत।
बढ़ गई है ज्योति दृग सबके खुले,
देख हिंदुस्तान का चैतन्य अभिमत॥
यान तो जाते रहे जाते रहेंगे,
आज सिक्का पर हमारा चमकता है॥
ये कोई सामान्य सा न कारनामा,
है सहजता से मिली न विजयश्री ये।
हम नमन करते हैं उन विज्ञानियों को,
जिनके अनथक परिश्रम से है मिली ये॥
राष्ट्र को ऊपर रखा परिवार से,
त्याग-तप से मिली अनुपम सफलता है॥
जिज्ञासा सिंह
भारत के वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि पर हर भारतीय को गर्व है. लेकिन याद रहे - अपनी उपलब्धि पर फूल कर कुप्पा हो जाने का यह समय नहीं है.
जवाब देंहटाएंसफलता आत्मविश्वास बढ़ाती है लेकिन आत्मश्लाघा नहीं सिखाती.
बाढ़, सूखा, बेरोजगारी, भुखमरी, महंगाई, रेल-दुर्घटनाओं आदि पर विजय पाना अभी भी हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए.
वाह! जिज्ञासा जी ,बहुत खूब! गौरवपूर्ण उपलब्धि पर हम सभी बहुत हर्षित हैं ।
जवाब देंहटाएंवाक़ई आज भारत ही नहीं विश्व के करोड़ों लोग इसरो के वैज्ञानिकों की ख़ुशी में शामिल हैं, सुंदर सृजन!
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" मंगलवार 29 अगस्त 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंआहा बहुत अच्छा गीत लाजवाब 🌹🌹
जवाब देंहटाएंअद्भुत जिज्ञासा जी, अद्भुत
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