प्रेम अनंत अगाध सभी से करना होगा
मन में भरा विषाद ख़त्म तो करना होगा
प्रेम का दिया अलौकिक
तम को सदा मिटाता
बिन आदान प्रदान
प्रेम घटता है जाता
इसे प्रचंड प्रखर फिर करना होगा ।
मन में भरा विषाद खत्म तो करना होगा ।।
बिन शर्तों का प्रेम
सदा आनन्दित करता
हो उन्मुक्त अपरिचित को भी
परिचित करता
प्रेम से हर प्राणी को वश में करना होगा ।
मन में भरा विषाद खत्म तो करना होगा।।
प्रेम हृदय में जब
घर कर जाता है
जल थल नभ सब
सुन्दर दिखने लग जाता है
द्वेष दूर अपनों से हमको करना होगा ।
मन में भरा विषाद खत्म तो करना होगा।।
प्रेम करे, अपराध मुक्त
मानव के मन को
प्रेम वृद्ध में लौटा दे
बचपन यौवन को
हमें सभी को प्रेम के रंग में रंगना होगा ।
मन में भरा विषाद खत्म तो करना होगा
**जिज्ञासा**
हमें सभी को प्रेम के रंग में रंगना होगा ।
जवाब देंहटाएंमन में भरा विषाद खत्म तो करना होगा
सुंदर
हृदय से हार्दिक आभार..।साथ ही दीपावली की शुभकामनाएँ..।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 21 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंप्रेम अनंत अगाध सभी से करना होगा
जवाब देंहटाएंमन में भरा विषाद ख़त्म तो करना होगा//
सच में प्रेम से बढ़कर दुनिया में ही भी क्या !| मधुर , सरस काव्य प्रिय जिज्ञासा जी |सस्नेह शुभकामनाएं|
सार्थक संदेश देती सुंदर रचना ।
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