हाँड़ माँस का टुकड़ा हूँ ।
हर वक़्त का दुखड़ा हूँ ।।
किच किच झेल रहा हूँ ।
नियति के हाथों में खेल रहा हूँ ।।
कहने को मनुष्य का जन्म देकर ,
बड़ा उपकार किया उसने ।
पर मृत्यु तक हमारी औकात ऐसी ,
हो जाती है अपनी ही नजरों में ।।
जैसे फूटी कौड़ी हूँ मैं..!
पसंद आऊँ सबको ! पैसा थोड़ी हूँ मैं..!
पायदान हूँ दरवाजों पर ।
कान खुले रखता हूँ हर आवाजों पर ।।
देखता हूँ घर बार ।
जताता रहता हूँ अपने अधिकार ।।
तुम्हारी तरह नहीं हूँ ,
इस जगत का सबकुछ ।
हूँ स्वयं की निर्मित ,
दुनिया का मालिक ।।
आखिर घर की ड्योढी हूँ मैं..!
पसन्द आऊँ सबको ! पैसा थोड़ी हूँ मैं..!
संताने भी खेल जाती हैं अक्सर ।
विरोधाभास रहता है परस्पर ।।
मैं क्या हूँ वो क्या हैं ?
पता ही नहीं हम कहाँ हैं ?
पर तुम्हारा साथ हो तो ,
सब पहचानते हैं मेरी औकात ।
शायद इसलिए कि तुम से ही जुड़ी है ,
उनकी हर खुशी हर सौगात ।।
बिल्कुल लिल्लीघोड़ी हूँ मैं..!
पसंद आऊँ सबको ! पैसा थोड़ी हूँ मैं..!
तुम पैसा हो तुम कारोबार हो ।
तुम जीवन यापन तुम व्यापार हो ।।
तुम्हीं ईश हो तुम्हीं बन्दगी हो ।
हर एक पल की ज़िंदगी हो ।।
सम्भव नहीं तुम्हारे बिना ,
संसार की कोई भी गतिविधि ।
पूजते हैं सभी नर नारी तुम्हें ,
खेवनहार हो तुम,हे पैसा ! दयानिधि.!!
तुम्हारे आगे तो बिल्कुल निगोड़ी हूँ मैं..!
पसंद आऊँ सबको ! पैसा थोड़ी हूँ मैं..!
**जिज्ञासा सिंह**
जिज्ञासा..
जवाब देंहटाएंआभार..
परिचित हुई
पैसे से
तुम्हारे आगे तो बिल्कुल निगोड़ी हूँ मैं..!
पसंद आऊँ सबको ! पैसा थोड़ी हूँ मैं..!
अप्रतिम..
सादर..
मेरी कविता को पढ़कर आपने जो स्नेहाशीष दिया।उससे अभिभूत हूँ।आपका कोटि कोटि आभार ।मैं अभी नई ब्लॉगर हूँ ।कोई भूल हो,तो कृपया मार्गदर्शन अवश्य करें।
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 07 नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजी..अवश्य ।
हटाएंधनवाद आपका ।
वाह। चिट्ठा अनुसरणकर्ता बटन उपलब्ध कराइये।
जवाब देंहटाएंक्षमा करें दिखा नहीं है अनुसरण करते हैं। लिखते रहें।
हटाएंआपने समय निकालकर मेरी कविता को पढ़कर,उसकी सराहना की ।आपका हृदय से आभार ।उचित मार्गदर्शन अवश्य करें ।
हटाएंबिल्कुल लिल्लीघोड़ी हूँ मैं..!
जवाब देंहटाएंपसंद आऊँ सबको ! पैसा थोड़ी हूँ मैं..!
सुन्दर रचना
बधाई व शुभकामनाएँ
शब्दों का मर्म समझकर की गई टिप्पणी से अभिभूत हूँ ।
हटाएंकृपया हौसला बढ़ाती रहें ।आभार..
सत्य उजागर करती बेहद सुन्दर रचना - - साधुवाद।
जवाब देंहटाएंप्रशंसा के लिए कोटि कोटि साधुवाद..कृपया मार्गदर्शन करते रहें ।
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत बढ़िया। बिल्कुल सही।
जवाब देंहटाएंआपके प्रोत्साहन के लिए आभार प्रकट करती हूँ।जिज्ञासा की जिज्ञासा पर आपकी टिप्पणी का स्वागत है..
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