मन
गहरा अथाह
अगणित विचारों को
उलझाता सुलझाता
एक चंचल प्रवाह
आसमां
विस्तृत अपार
चांद सितारों का संसार
सपने दिखाता
ऊंचे रुपहले दुनिया के उस पार
रीति
रीति की कितनी नीति
और अनीति
संकुचित कर गई विचार
फैला गई कुरीति
चीख
बंद दरवाजों के बीच
भायी हर नीच
पहुंची जैसे ही सभा बीच
उड़ेल दी भर डलिया कीच
पहुंच
तुम तक मेरी
मुझ तक तेरी
देती नहीं मुकाम
बस लगवाती रहती है हेराफेरी
भंवर
डोलती एक नांव इधर उधर
डूबती उतराती मगर
फिर किनारे पहुंच जाती
सहारा बन जाती जब लहर
तनहाई
ले करवट ओढ़ी रजाई
नींद फिर भी नहीं आई
घोर हुए प्रयत्न लाखों जतन
फिर आई थोड़ी सी जमुहाई
ऊहापोह
कभी मिलन कभी बिछोह
कभी प्रीति कभी विद्रोह
जोड़ते जोड़ते थक गई हूं
गांठ पड़ ही गई ओह !
मैं
वो मैं से पीड़ित हैं
घर में भी है मैं की कैं कैं
समझा लो उन्हें कितना भी
पर वो कहते हैं जो कुछ हैं हमीं हैं हमीं हैं हमीं हैं
कीड़ा
दिमाग का कीड़ा
रोज देता है नई नई पीड़ा
ख़तम करके ही मानूंगी
उठा लिया है मैंने बीड़ा
समंदर
विशाल विस्तृत
वरुण देवता की अद्भुत कृत
स्वयं का अलौकिक संसार
नैनों में हो जाता समाहित
डेरा
चाहे जितना लगा लो फेरा
चारों दिशाओं में शाम हो या सवेरा
मिलेंगी शांति तुम्हे आ के वहीं
जहां हो मातृशक्ति का बसेरा
**जिज्ञासा सिंह**
प्रभावशाली लेखन - - दीपावली की असंख्य शुभकामनाएं - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंसादर धन्यवाद..दीपावली और भाई दूज की मंगलकामना करती हूँ..।
हटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसराहना के लिए सहृदय आभार..।
हटाएंनैनों में समाहित हो रहा है सुंदर लेखन ।
जवाब देंहटाएंआपकी टिप्पणी से कृतज्ञ हूँ..सादर..।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार प्रकट करती हूँ..।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय क्षिणिकाएँ एक से बढ़कर एक।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत-बहुत कृतज्ञ हूँ आपके प्रोत्साहन से..आशा करती हूँ,स्नेह बना रहेगा..
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट लेखन शैली
जवाब देंहटाएंधन्यवाद...सादर...।
जवाब देंहटाएंभाव प्रधान सुंदर क्षणिकाएं ।
जवाब देंहटाएंअहसासों का गुलदस्ता।
धन्यवाद कुसुम जी ..आपकी टिप्पणी हृदय को छूने वाली है ..सादर अभिवादन ..।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 21 जुलाई 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंपहुंच
जवाब देंहटाएंतुम तक मेरी
मुझ तक तेरी
देती नहीं मुकाम
बस लगवाती रहती है हेराफेरी///
भावों में पगी सरस क्षणिकाएं प्रिय जिज्ञासा जी | थोड़े शब्दों में बड़े भाव समेटे हैं आपने | सस्नेह बधाई और शुभकामनाएं|
हर क्षणिका गहन भाव लिए हुए । बेहतरीन
जवाब देंहटाएं