एक अदद सा तोहफा मुझे भी देते काश
मैं भी भर लेती अपना आकाश
वो जो मेरा था तुम किसे दे आए
मैंने रक्खा था बिल्कुल करीब, दिल के पास
आज ढूंढा है कई कई बार मैंने
वो कूची वो फ्रेम वो कैनवास
जिसपे रंगे थे मेरी आँखों के काजल
और जुल्फों के मुस्कराते अल्फाज़
हँसी भी उकेरी थी तुमने एक दिन
वो गुलाबी गालों के रेशमी अह्सास
जाने क्यूँ ? और किसे दे आए
ऐसा कौन था ? तुम्हारा, मुझसे खास
हाथ पर हाथ धरे बैठी रही मैं
ज़रा भी नहीं हुआ मुझको आभास
खूबसूरत अहसासों का सरमाया मेरा
तोहफा बिखर गया बन के ताश
**जिज्ञासा सिंह**
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 13 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय यशोदा दी, नमस्कार!मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करती हूँ..सादर नमन
हटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति। ।।।। बहुत ही सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंपुरुषोत्तम जी, आपकी सुन्दर टिप्पणी के लिए आभार व्यक्त करती हूँ..सादर नमन..।
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति, जिज्ञासा दी।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार ज्योति जी, आपकी प्रशंसा भरी टिप्पणी को नमन करती हूँ..सादर..।
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 14 दिसंबर 2020 को 'जल का स्रोत अपार कहाँ है' (चर्चा अंक 3915) पर भी होगी।--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
रवीन्द्र जी,नमस्कार ! मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..मेरे ब्लॉग पर आपका हमेशा स्वागत है..सादर नमन..।
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंआपका तहेदिल से आभार व्यक्त करती हूँ..सादर नमन...।
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..आपको मेरा अभिवादन..।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण,
जवाब देंहटाएंबिखरते एहसास को बांधने की कोशिश।
लाजवाब अभिव्यक्ति।
नई रचना- समानता
रोहितास जी, आपकी प्रशंसा का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..सादर..
जवाब देंहटाएंकैसे दिल के पास से कुछ उजड़ता है,और हर एक एहसास ताश के पत्तों से बिखर जाते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन।
बिल्कुल सच कहा है कुसुम जी आपने, आपका बहुत-बहुत आभार एवं नमन..
जवाब देंहटाएंएक मधुर अनुभूति के स्पर्श में ढला हुआ अहसास - - सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शांतनु जी..सादर नमन..।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंयशवन्त जी तहेदिल से आपका आभार..सादर नमन..।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम..बहुत सुंदर रचना..
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