तोहफा मेरा


एक अदद सा तोहफा मुझे भी देते काश 
मैं भी भर लेती अपना आकाश 

वो जो मेरा था तुम किसे दे आए 
मैंने रक्खा था बिल्कुल करीब, दिल के पास 

आज ढूंढा है कई कई बार मैंने 
वो कूची वो फ्रेम वो कैनवास 

जिसपे रंगे थे मेरी आँखों के काजल 
और जुल्फों के मुस्कराते अल्फाज़ 

हँसी भी उकेरी थी तुमने एक दिन 
वो गुलाबी गालों के रेशमी अह्सास 

जाने क्यूँ ? और किसे दे आए 
ऐसा कौन था ? तुम्हारा, मुझसे खास 

हाथ पर हाथ धरे बैठी रही मैं 
ज़रा भी नहीं हुआ मुझको आभास 

खूबसूरत अहसासों का सरमाया मेरा  
तोहफा बिखर गया बन के ताश 

**जिज्ञासा सिंह**

21 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 13 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आदरणीय यशोदा दी, नमस्कार!मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करती हूँ..सादर नमन

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  2. भावपूर्ण अभिव्यक्ति। ।।।। बहुत ही सुंदर रचना।

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    1. पुरुषोत्तम जी, आपकी सुन्दर टिप्पणी के लिए आभार व्यक्त करती हूँ..सादर नमन..।

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, जिज्ञासा दी।

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    1. बहुत-बहुत आभार ज्योति जी, आपकी प्रशंसा भरी टिप्पणी को नमन करती हूँ..सादर..।

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  4. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 14 दिसंबर 2020 को 'जल का स्रोत अपार कहाँ है' (चर्चा अंक 3915) पर भी होगी।--
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  5. रवीन्द्र जी,नमस्कार ! मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..मेरे ब्लॉग पर आपका हमेशा स्वागत है..सादर नमन..।

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    1. आपका तहेदिल से आभार व्यक्त करती हूँ..सादर नमन...।

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  7. आपका हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..आपको मेरा अभिवादन..।

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  8. भावपूर्ण,
    बिखरते एहसास को बांधने की कोशिश।
    लाजवाब अभिव्यक्ति।

    नई रचना- समानता

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  9. रोहितास जी, आपकी प्रशंसा का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..सादर..

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  10. कैसे दिल के पास से कुछ उजड़ता है,और हर एक एहसास ताश के पत्तों से बिखर जाते हैं।
    बहुत सुंदर सृजन।

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  11. बिल्कुल सच कहा है कुसुम जी आपने, आपका बहुत-बहुत आभार एवं नमन..

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  12. एक मधुर अनुभूति के स्पर्श में ढला हुआ अहसास - - सुन्दर रचना।

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  13. बहुत बहुत आभार शांतनु जी..सादर नमन..।

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  14. यशवन्त जी तहेदिल से आपका आभार..सादर नमन..।

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