संवाद

ऐसा क्यूँ है ? बस यूँ ही 
वैसा क्यूँ है ? बस यूँ ही 

क्या देख रहे थे उधर ? बस यूँ ही  
क्यूँ देखा घूरकर ? बस यूँ ही 

क्यूँ  परेशान हो ? बस यूँ ही 
किस बात पे हैरान हो ? बस यूँ ही 

देर क्यूँ हो गई आज ? बस यूँ ही 
ये बदले हुए सुर,ये आवाज़ ! बस यूँ ही 

इस तरह चुप क्यूँ हो ? बस यूँ ही 
नज़रों से रहे छुप क्यूँ हो ? बस यूँ ही 

ये उतरा हुआ चेहरा ? बस यूँ ही 
ये चेहरे पे उदासी का पहरा ? बस यूँ ही 

मेरा तुम्हारा साथ ! बस यूँ ही 
अटके भटके, हलक में लटके से ज़ज्बात ! बस यूँ ही 
 
न मेरी सुनी न अपनी कही ?? 
गुजर गया जीवन बस यूँ ही ??

**जिज्ञासा सिंह**

26 टिप्‍पणियां:

  1. गुजर गया जीवन बस यूँ ही?? वाह-वाह क्या खूब लिखा है।

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    1. आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ..सादर नमन..।

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  2. आदरणीय शास्त्री जी आपकी प्रशंसा को नमन करती हूँ..।सादर अभिवादन..।

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  3. सादर धन्यवाद, ओंकार जी! आपकी प्रशंसा को नमन है..!

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  4. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१९-१२-२०२०) को 'कुछ रूठ गए कुछ छूट गए ' (चर्चा अंक- ३९२०) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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    1. प्रिय अनीता जी नमस्कार! मेरी रचना चर्चा अंक में शामिल करने के लिए आपका हृदय से अभिनंदन करती हूँ..सादर नमन.. !

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  5. सच कुछ लोगों की जिंदगी यूँ ही कब गुजर जाती हैं पता ही नहीं चलता उन्हें

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    1. कविता जी, आपने मेरी कविताओं को समय दिया जिसके लिए आपका हृदय से अभिनंदन है समय मिले तो मेरे दूसरे ब्लॉग लिंक पर जरूर निगाह डालें..सादर.. जिज्ञासा..!

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  6. सच में अपने विचारों और भावों को बस यूँ हु कहकर टाल देते हैं जो क्या ँवे अपने आसपास किसी को कुछ समझने लायक नहीं समझते...
    लाजवाब सृजन...

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  7. सच कहा सुधा जी, जीवन में अक्सर ऐसे अनुभव होते हैं जो हम जैसे लोगों को सोचने के लिए मजबूर करते हैं..आपकी सराहनीय प्रशंसा का हृदय से स्वागत करती हूँ..समय मिले तो मेरे दूसरे ब्लॉग लिंक पर अवश्य भ्रमण करें..सादर जिज्ञासा..!

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  8. जोशी जी, आपका बहुत बहुत आभार ! सादर नमन ..।

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  9. आज़कल बहुत सी बातें "बस यूं ही" हो जाती है, आपने भी बस यूं ही कहकर बहुत कुछ समझा दिया जिज्ञासा जी, बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति

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    1. कामिनी जी, आपकी प्रशंसा भरी टिप्पणी ने मेरी कविता को सार्थक कर दिया. अपना स्नेह बनाए रखें..समय हो तो मेरे गीत के लिंक पर अवश्य निगाह डालें..सादर जिज्ञासा..!

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  10. संवेदना का अभाव ही ऐसी संवादहीनता को उत्पन्न करता है । एक- दुसरे से सभी खुलने से झिझकते हैं कि कहीं कुछ गलत न समझ लिया जाए ।

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    1. अमृता जी, आपकी बात से मैं सहमत हूँ, आपकी प्रतिक्रिया में कुछ न कुछ संदेश होता है, ऐसे और संदेशों की आकांक्षा में..जिज्ञासा..
      समय मिले तो मेरे गीत के ब्लॉग पर अवश्य निगाह डाले..सादर..

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  11. वाह! सच में कई लोगों की ज़िन्दगी ऐसे ही गुजर जाती है...

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    1. जी, विकास जी, आपने सच कहा! हम जानते नहीं, पर हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग होते हैं..आपको मेरा सादर नमन..

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  12. बस यूं ही कह कर हम कितनी बातों से बच जाते हैं जैसे साॅरी कह कर बचते हैं।
    पर इस बस यूं ही के पीछे कभी कभी कितनी उदासी होती है और कभी उकताहट।
    सहज सरल उद्गार।

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  13. सुन्दर, व्याख्यात्मक, सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार कुसुम जी, आपके ऐसे ही भावों का इंतजार रहता है..सादर नमन..

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  14. है तो सब कुछ बस यूँ ही ... पर लाजवाब है ये बस यूँ ही ...
    अच्छी रचना है ...

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  15. सुन्दर तुकबन्दी के साथ-साथ प्रशंसा को नमन और वंदन है सादर..

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