कूँची उठा कर चित्र मैंने ज्यों बनाया
एक नुमाइश लग गई ।
चित्र भी कुछ इस तरह के बन गए
देखती आश्चर्य से मैं रह गई ।।
राजतंत्र, प्रजातंत्र, महल, मीनारें बनायीं
श्वेतअश्वों से सजा एक रथ बनाया ।
राजमहिषी, नृपति, बैठे, संग बैठीं सेविकाएँ
रेशमी पर्दों में छुपकर चंवर मैंने ही डुलाया ।।
सिन्धु, सागर, सर औ सरिता, व्योम, धरनी भी बनायी
अरण्य वन में भागते बाघों औ हिरनों को बनाया ।
झूमकर गाते परिन्दों का मधुर जोड़ा दिखा जब
बैठ उनके समुख मैंने उनके सुर में सुर मिलाया ।।
गाँव गलियाँ घर घरौंदा देहरी दरवाज़ा बनाया
चौतरे पे हुक्का पीते बैठे ताऊ को बनाया ।
गाय दुहती ग्वालिनों के बाल गोपालों की टोली
मेरे संग में गागर थामे जा रहीं संखियाँ बनाया ।।
रोशनी से झिलमिलाती शहर की बिल्डिंग बनायी
एक तल औ दूसरा, तीसरा, चौथा बनाया ।
पाँचवें तल पे बनाये मुस्कारते माँ पिता जी
गोद बैठे बालबच्चे चरण में कुनबा बनाया ।।
तिरंगे के तीन रंग से, देश का नक्शा उकेरा
अतलस्पर्शी पयोनिधि हिमगिरी पर्वत बनाया ।
छोर एक कन्याकुमारी दूसरा कश्मीर घाटी
सामने करबद्ध मस्तक गणों का झुकता बनाया ।।
देश की सुन्दर छवि को मैं बनाती जा रही
पर कहीं कुछ है अधूरा जो नहीं मैंने बनाया ।
तूलिका ने मान रक्खा फ़ौज की वर्दी बनायी
राजपथ पर वर्दीधारी बेटी को चलता दिखाया ।।
अंत में माँ भारती की मुस्कुराती छवि बनाई
जाति रंग वर्ण भेद संग सभी रहते बनाया ।
विश्व के ऊँचे शिखर पर है तिरंगा उड़ रहा
द्वार अपने मैं खड़ी आरती करते बनाया ।।
**जिज्ञासा सिंह**
बहुत सुंदर। गणतंत्र दिवस कि हार्दिक शुभकामनाएं 🇮🇳
जवाब देंहटाएंशिवम जी, बहुत बहुत आभार..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..
हटाएंगणतंत्र दिवस की शुभ कामनाएं..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
बहुत बहुत आभार..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..
हटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
यशवन्त जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया ..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..
हटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएं72वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आदरणीय शास्त्री जी, आपका हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..
हटाएंप्रिय जिज्ञासा जी, जहाँ ना पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि !!बहुत ही सुंदर ढंग से अनेकता में एकता की मिसाल भारतवर्ष की महिमा को गाती रचना के लिए ढेरों शुभकामनाएं और बधाई। गणतंत्र उत्सव पर आप का ये सृजन अविस्मरणीय है। इस शुभ दिवस की ढेरों बधाईयाँ 🙏🙏❤❤🌹🌹
जवाब देंहटाएंप्रिय रेणु जी, आपकी व्याख्यात्मक प्रशंसा हमेशा उत्साहवर्धन करती है और निरंतर एक सुन्दर संदेश देती है..मैंने गीत के ब्लॉग पर गीत डाले हैं वक़्त मिले तो जरूर पढ़ें,सुने तथा अपना बहुमूल्य मार्गदर्शन करें..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..
जवाब देंहटाएंप्रिय जिज्ञासा जी, आपके गीत उसी समय पढ़ लेती हूँ पर समय साथ नहीं दे रहा सो प्रतिक्रिया लिखना संभव नहीं हो पाता। आपके गीत बहुत भावपूर्ण हैं। निश्चित ही आपके ब्लॉग पर जल्द उपस्थिति रहेगी। 🌹🌹🌷🌷💐💐
हटाएंआपके स्नेह की आभारी हूँ 🌺🌺
हटाएंवाह! अप्रतिम छाया चित्र। जयशंकर प्रसाद के 'हिमालय के आंगन' की याद दिला दी आपने। बहुत आभार और बधाई! यूँ ही शब्द चित्र खींचती रहें। शुभकामना!
जवाब देंहटाएंआपकी बहुमूल्य, यूँ कहें अमूल्य प्रशंसा से अभिभूत हूँ..आपका विनम्र स्नेह सिर आँखों पर..एक महान कवि का नाम मेरी रचना के वर्णन में आ जाय ये महान गर्व का विषय है..सादर सविनय..जिज्ञासा सिंह..
हटाएंदेश प्रेम के भावों से सजी अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति । गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय मीना जी,आपकी हौसला बढ़ाती प्रशंसा का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..सादर नमन..
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (27-01-2021) को "गणतंत्रपर्व का हर्ष और विषाद" (चर्चा अंक-3959) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आदरणीय शास्त्री जी, नमस्कार ! मेरी रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए आपका हृदय से अभिनंदन करती हूँ..आपका मिलता हुआ स्नेह निरंतर लिखने की प्रेरणा देता है..हार्दिक शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..
हटाएंवाह ! बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंगगन जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया का स्वागत है..सादर जिज्ञासा सिंह..
हटाएंबहुत सुंदर । क्या यह चित्र भी आप ही ने बनाया है जिज्ञासा जी ?
जवाब देंहटाएंजितेन्द्र जी आपका बहुत-बहुत आभार ! पेंटिंग तो मैं करती हूँ जितेन्द्र जी, परंतु ये चित्र मैंने नहीं बनाया है गूगल से लिया है..सादर जिज्ञासा सिंह..
हटाएंबहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति। आपको शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद वीरेन्द्र जी, आपकी प्रशंसा को नमन है..सादर नमन..
हटाएंअति सुन्दर चित्रण। गणतन्त्र देश का भी और कविता का भी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद विमल जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया का आदर करती हूँ सादर अभिवादन सहित जिज्ञासा सिंह..
हटाएंअद्भुत सखी जी! चित्र और शब्द चित्र दोनों कमाल! एक भाव दूसरे से ऐसा गूंथा है जैसे मंजुल फूलों की अवली ।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन अभिनव अभिव्यक्ति।
प्रिय सखी ! आपकी प्रशंसा की वेणी मैंने अपने शीश पर सजा ली है उतारूंगी नहीं..सादर सप्रेम जिज्ञासा सिंह..
जवाब देंहटाएंभावनाओं के सुन्दर रंगों से सजी सुन्दर प्रस्तुति, बधाई
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय प्रतिक्रिया के लिए आपका हृदय से अतुलित आभार व्यक्त करती हूँ..सादर सप्रेम जिज्ञासा सिंह..
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत अच्छी लगी कविता. या कहें कविता चित्र. जिसमें सारा भारत समाया. और भारत का सरमाया.
जवाब देंहटाएंबधाई ! कविता मन भाई !
आपकी प्रशंसनीय टिप्पणी सम्मोहित कर गई..आशा है निरंतर आपका स्नेह मिलता रहेगा सादर सप्रेम जिज्ञासा सिंह..
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत ही सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
प्रिय अनीता जी, बहुत बहुत धन्यवाद..आपकी प्रशंसनीय टिप्पणी का हृदय से स्वागत करती हूँ..सादर नमन..
जवाब देंहटाएं👌👌atisundr
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