मैं उनकी दुआ फिर ले आई
जिनके घर औ आँगन ही नहीं
संवरने को स्वस्थ तन ही नहीं
पेट के लिए भोजन ही नहीं
भोजन के लिए बरतन ही नहीं
जो बैठी है सड़क के किनारे
फटा आँचल पसारे
इधर उधर घूम घूम कर निहारे
कपड़ा रोटी बिछावन कुछ तो देता जा रे
आज मैं फिर उनसे मिल आई
कुछ थोड़ा सा छिड़क आई
उसके बदले बालिश्त भर दुआ ले आई
निश्चिंत हूँ सो गई हूँ ओढ़कर
दुआओं की खूबसूरत रज़ाई
**जिज्ञासा सिंह**
चित्र साभार गूगल
आज मैं फिर उनसे मिल आई
जवाब देंहटाएंकुछ थोड़ा सा छिड़क आई
उसके बदले बालिश्त भर दुआ ले आई
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ऐसी सुंदर सोच रखने वालों से ही इनकी ख़ुशियां हैं।
बहुत खूब। सार्थक सृजन। आपको शुभकामनाएँ।
वीरेन्द्र जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभारी हूँ..सादर नमन..
हटाएंमर्मस्पर्शी रचना ।
जवाब देंहटाएंजितेन्द्र जी, बहुत बहुत आभार..सादर नमन..
हटाएंवाह! बहुत सुंदर!!!
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार विश्वमोहन जी..सादर नमन..
हटाएंसुंदर।
जवाब देंहटाएंशिवम जी, आपका बहुत-बहुत आभार..सादर नमन..
जवाब देंहटाएंदिल को छू लेने वाली ख़ूबसूरत रचना 🌹🙏🌹
जवाब देंहटाएंआपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को आभार सहित सादर नमन है प्रिय शरद जी..
जवाब देंहटाएंबिना छत और मकान वालों की मिलती रहें दुआएँ
जवाब देंहटाएंदूसरों की खुशहाल चेहरे देख दूर रहे जीवन से बलाएँ
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सुंदर भावों.से गढ़ी प्यारी रचना प्रिय जिज्ञासा जी।
सस्नेह।
आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया के लिए हृदय से बहुत आभार व्यक्त करती हूँ..सादर नमन..
हटाएंउनकी दुआ सार्थक हो और आपकी ऐसी सोच बनी रहे।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार यशवन्त जी, सादर नमन..
हटाएंभले ही सर्वहारा हैं, पर दिल में स्नेह ढेर सारा है
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती टिप्पणी के लिए हृदय से नमन करती हूँ सादर..
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति प्रिय जिज्ञासा जी। जिसे दुआओं की ये रजाई मिल जाए ईश्वर सदैव उसके अंग संग है🙏🙏
जवाब देंहटाएंस्नेह सिक्त प्रशंसा के लिए बहुत आभार प्रिय रेणु जी..सादर अभिवादन..
हटाएंबहुत सुंदर और सार्थक सृजन वाह ! बहुत सुंदर कहानी,
जवाब देंहटाएंPoem On Mother In Hindi
बहुत बहुत आभार आपका..सादर नमन..
जवाब देंहटाएंसंवेदनापूर्ण रचना. बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार आदरणीय..सादर नमन..
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