ऋतुराज आए हैं

फिर उलझ गई 
पैरों से झाँझर खिसक गई 
क्या सुन्दर थी 
मन मुंदर थी 
बजती थी झनन झनन 
कानों में खनन खनन 
मधुर रस बरबस 
बिहँस बिहँस 
घोलती थी 
ऐसे बोलती थी 
कोयल भी चुप रह जाय 
सप्त सुर ही सुनाय 
चहुँ ओर दिशाओं में 
बासंती हवाओं में 
उसकी ही तान थी 
गीत और गान थी 
उसकी मधुर धुन 
पे झूमे भौंरे गुन गुन
चिड़ियों ने नृत्य किया 
महक उठी हर बगिया 
बगिया के रंग देख 
तितली के पंख देख 
अप्सरा उतर आईं 
लेकर के अंगड़ाई 
कलियों से बोलीं ये 
सजो आज वेणी में 
देखूँगी दर्पन मैं 
कजरारे नैनन में 
कौन रसिक 
कौन पथिक 
बसा चला जाता है 
ढूँढ मेरी लाता है 
झनन झनन झाँझर वो 
खनन खनन बजती जो 
पहन पहन झूमूँगी
ऋतुराज आये हैं, चरण आज चूमूँगी ..

**जिज्ञासा सिंह**

32 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-2-21) को "माता का करता हूँ वन्दन"(चर्चा अंक-3979) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. प्रिय कामिनी जी, आपके स्नेह को नमन है मेरी रचना को मान देने के लिए आभार..सादर शुभकामनाएं..

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  2. बहुत सुंदर, मनोहारी अभिव्यक्ति है यह आपकी जिज्ञासा जी ।

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद जितेन्द्र जी..प्रशंसनीय प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया..

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    1. आदरणीय शास्त्री जी,नमस्कार !आपकी स्नेहपूर्ण प्रशंसा को नमन है..सादर..

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    1. प्रिय श्वेता जी आपका बहुत-बहुत आभार..प्रशंसनीय प्रतिक्रिया के लिए सादर नमन..

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय सधु जी, आपकी स्नेहपूर्ण प्रशंसा को नमन है..

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  6. बसंत का आगमन और मौसम में उल्लास न जगे ... ऐसा तो हो ही नहीं सकता ... बहुत सुन्दर शब्दों से बुनी रचना ...

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    1. दिगम्बर जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया का आदर करती हूँ..स्नेह बनाए रखें..सादर नमन..

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  7. देखूँगी दर्पन मैं
    कजरारे नैनन में
    कौन रसिक
    कौन पथिक
    बसा चला जाता है
    ढूँढ मेरी लाता है
    झनन झनन झाँझर वो
    खनन खनन बजती जो
    पहन पहन झूमूँगी
    ऋतुराज आये हैं, चरण आज चूमूँगी ..
    अति मन भावन रचना..! मुग्ध हो चुका हूँ पढकर। बसंतोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें।

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  8. जी पुरुषोत्तम जो आपकी सुन्दर मनभावन प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ..बहुत-बहुत आभार आपका..बसंत उत्सव की आपको बधाई..

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  9. सुन्दर. सार्थक और समयोचित प्रस्तुति। आपको बधाई और शुभकामनायें ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद वीरेन्द्र जी आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को नमन है..सादर शुभकामनाएं..

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  10. यूँ ही स्वागत करती रहें और बारह महीने ऋतुराज मन में बसे रहें ।

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    1. आपकी स्नेहपूर्ण प्रशंसा को हृदय से लगा लिया है..सादर नमन.. एवं बसंत पांच की हार्दिक शुभकामनायें..

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  11. ऐसी शुभ घड़ी आई है और मनचाहा पाहुन आया है तो कृतज्ञता चरण चूमेगी ही । अति सुन्दर ।

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    1. जी सच कहा है आपने, बहुत आभार प्रिय अमृता जी, बसंत उत्सव की हार्दिक शुभकामनायें..

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  12. बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय अर्पिता जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को नमन है..सादर..

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  13. अहा! बहुत सुंदर शब्द चयन और मनभावन भाव ... शुभकामनायें

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    1. ब्लॉग पर समय देने के लिए आपका हृदय से अभिनंदन करती हूँ..प्रशंसनीय प्रतिक्रिया के लिए आपको नमन..

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    1. आदरणीय अनुराधा जी, आपके स्नेहपूर्ण प्रशंसा के लिए आपका हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..

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  15. बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना
    बधाई

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  16. आपका बहुत-बहुत आभार आदरणीय..सादर नमन..

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  17. सुन्दर शब्दों से बुनी भावपूर्ण रचना

    Fursat mile to blod par bhi ayen
    sanjay bhaskar
    https://sanjaybhaskar.blogspot.com/

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  18. बहुत बहुत आभार आपका संजय ji, सादर नमन..

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