आज फिर ज़िद पे अड़ गई
मुझसे अकड़ गई
मुई नींद
छोड़ गई फिर उनींद
नहीं आना था तो नहीं आई
मैं कितनी बार गिड़गिड़ाई
शांत मन से समझाया
बुझाया, रिझाया
फिर भी मुकर गई
कर, ना नुकर गई
ऐसी गई कि लौटी ही नहीं
है यहीं कहीं
मेरे आसपास
मुझे है आभास
पूछा क्यूँ नाराज है वो
इतनी बदमिजाज़ है वो
देने लगी ताने
उलाहने
उड़ा के मुझे यहाँ से वहाँ ले गई
दुनिया टहला गई
योग क्षेम करवा लिया
तबला भी बजवा लिया
राग बताती रही
बहाने बनाती रही
अजीब अजीब
बैठी रही बिल्कुल पुतलियों में,
छुपकर आँखों के करीब
चिमचिमाती रही
आती जाती रही
कोई खटपट
कोई आहट
उससे न छूटी
हर बात पे रूठी
जैसे हूर की परी है वो
इतनी नकचिढ़ी है वो
कि मैं मना मना के गई हार !
दुःख दर्द में जब जरूरत हो तो
नींद दिखती सबसे बड़ी ग़द्दार !!
**जिज्ञासा सिंह**
बड़ी नकचढ़ी होती है ये
जवाब देंहटाएंगगन जी आपका बहुत-बहुत आभार..सादर नमन..
हटाएंनींद की गद्दारी के माध्यम से आपने कई आयाम, चिंतन प्रस्तुत किए..बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका अर्पिता जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को नमन है..
जवाब देंहटाएंइतनी नकचिढ़ी है वो
जवाब देंहटाएंकि मैं मना मना के गई हार !
दुःख दर्द में जब जरूरत हो तो
नींद दिखती सबसे बड़ी ग़द्दार !!
सचमुच निन्दिया रानी के अन्दाज नखरीले हैं। सुन्दर सृजन।
आपकी सुन्दर प्रशंसा दिल को छू गई आपका हृदय से आभार एवं सादर नमन..
जवाब देंहटाएंलाजवाब! नींद की अच्छी ख़बर ली है आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका वीरेन्द्र जी, सादर नमन..
जवाब देंहटाएंये नकचढ़ी चैन को भी साथ लिए घूमती है। बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंआपका हृदय तल से आभार एवं अभिनंदन..
हटाएंकविता भी और उसका शिल्प भी, दोनों ही प्रशंसनीय ।
जवाब देंहटाएंआपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को नमन है सादर नमन..
हटाएंawesome ; keep it up
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति, जिज्ञासा दी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया का आदर करती हूँ..
हटाएंअत्यंत रोचक शब्द चित्र जिज्ञासा जी। बहुत प्यारी रचना लिखी आपने नटखट नींद पर एक शानदार काव्य चित्र लिखा है। शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से शुक्रिया एवं अभिनंदन प्रिय रेणु जी..सादर नमन..
जवाब देंहटाएंनखरीले अन्दाज समेट लिया है मन के सारे भावों को जो सुन्दर बन पड़ा है..
जवाब देंहटाएंकभी फुर्सत मिले तो हमारी देलीज़ पर भी आये
शब्दों की मुस्कुराहट
https://sanjaybhaskar.blogspot.com
बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूं , ब्लॉग पर आपका हमेशा स्वागत करती हूं, सादर अभिवादन..
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