हकीकतों ने पाला है


हमें हकीकतों ने पाला है 
हाँ ये सच है कि 
कि हमें हकीकतों ने पाला है 

हम पले घास के मैदानों में ।
ऊँची नीची टेढ़ी मेंढ़ी पगडंडियों ,
और गर्म रेगिस्तानों में ।।
कंकड़ पत्थरों पे चलते हुए, कई बार पड़ा पैरों में छाला है 
सच हमें हक़ीक़तों ने पाला है..

हम पले बरखा की फुहारों में ।
झीलों तालाबों नदियों किनारों ,
समुद्री तूफ़ानों और मँझधारों में  ।।
काग़ज़ की नाव बना हमने सागर मथ डाला है 
सच हमें हक़ीक़तों ने पाला है..

हम पले उतरनों को पहन के ।
बुआ चाचा दीदी भैया जो कपड़े पहनते , 
बिना शर्म पहन हम खड़े हो जाते बन ठन के ।।
घुटनों पे फटी पतलून हाथों से छुपा खुद को सम्भाला है 
सच हमें हकीकतों ने पाला है ..

किताबें भी माँगकर पढ़ लेते थे हम ।
पुरानी किताबों की ज़िल्दसाजी कर,
नयी बना देते थे एकदम ।।
बड़ी खुशी से कहते थे कि बस्ता भैया वाला है 
सच हमें हकीकतों ने पाला है ..

हमने सुनी हैं हज़ारों किस्से और कहानी ।
बाबा दादी नाना नानी के पहलू में चहक चिपक,
जिद कर कर के, उन्हीं की जुबानी ।।
अब तो रिश्तों पे लग गया ताला है 
सच हमें तो हकीकतों ने पाला है ..

**जिज्ञासा सिंह**

39 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 26-02-2021) को
    "कली कुसुम की बांध कलंगी रंग कसुमल भर लाई है" (चर्चा अंक- 3989)
    पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद.


    "मीना भारद्वाज"

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    1. आदरणीय मीना जी, नमस्कार!
      आपका हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..सादर नमन एवं शुभकामनाएं..

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  2. आज की पीढ़ी उन लाजवाब हकीकतों से कोसों दूर है।

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    1. जी यशवन्त जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को नमन करती हूँ..सादर अभिवादन..

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २६ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    1. प्रिय श्वेता जी, ब्लॉग पर निरंतर आपके स्नेह की आभारी हूँ..सादर नमन..

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  4. आदरणीय शास्त्री जी, नमस्कार!
    आपकी प्रासंगिक प्रतिक्रिया का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..सादर नमन..

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  5. मेरे पिताजी अक्सर हम लोगो को अपने शुरुवाती जीवन के बारे में बताते रहते है..वो दौर भौतिकवादी नहीं था, पर शुकून था..बहुत सुंदर रचना

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  6. प्रिय अर्पिता ये पिताजी के दौर की ही सुंदर यादें हैं पर महसूस हमें भी होती हैं..बहुत बहुत आभार..

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  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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    1. वाह! बहुत बढ़िया। पुरानी यादें ताजा करने की। ये तो मैट्रिक तक की हमारी जिंदगी का वृत्त चित्र बना दिया आपने। बधाई और आभार।

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    2. जी, विश्वमोहन जी आपकी प्रशंसा निरंतर मनोबल बढ़ाती है, कृपया स्नेह बनाए रखें..सादर नमन..

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  8. बहुत खूबसूरती से पुरानी पीढ़ी के लोगों की भावनाओं को व्यक्त किया है ।
    काग़ज़ की नाव बना हमने सागर मथ डाला है
    सच हमें हक़ीक़तों ने पाला है..
    इस पंक्ति ने विशेष आकर्षित किया ।

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    1. आदरणीय संगीता दीदी, आपकी प्रशंसा से अभिभूत हूँ..आपका स्नेह मिलता रहे..ऐसा प्रयास निरंतर रहेगा..सादर नमन..

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  9. बचपन की यादें ताज़ा कर दीं आपने जिज्ञासा जी । बहुत-बहुत शुक्रिया आपका ।

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    1. जितेन्द्र जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को नमन है..सादर नमन..

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  10. समय के साथ सब कुछ बदल जाता है

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    1. जी, अनीता दीदी आपने बिल्कुल सच कहा है..आपको मेरा अभिवादन..

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  11. हमने सुनी हैं हज़ारों किस्से और कहानी
    बाबा दादी नाना नानी के पहलू में चहक चिपक
    जिद कर कर के, उन्हीं की जुबानी
    अब तो रिश्तों पे लग गया ताला है
    सच हमें तो हकीकतों ने पाला है

    सच,हमारी हकीकत और आज की हकीकत में कितना फर्क है,
    हमें तो पसंद थी दिखावे से दूर अपनी हकीकत की दुनिया, सुंदर सृजन जिज्ञासा जी

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  12. प्रिय कामिनी जी, ब्लॉग पर आपकी सनहमयी उपस्थिति का दिल से स्वागत करती हूँ..एवं अक्षरशः आपके कथन से सहमत हूँ.. सादर शुभकामनाएँ एवं नमन..

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  13. हमें हकीकतों ने पाला है
    हाँ ये सच है कि
    कि हमें हकीकतों ने पाला है
    बहुत बहुत सुन्दर रचना | शुभ कामनाएं

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    1. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय..आपकी प्रशंसा अनमोल है..जिसका हृदय से स्वागत करती हूँ..

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    1. आपका हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ आदरणीय अनुराधा दीदी..आपको मेरा नमन..

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय..आपकी प्रशंसनीय टिप्पणी के लिए आपको मेरा नमन है..

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  16. आदरणीया मैम,
    बहुत ही सुंदर व सटीक कविता जो मन को भावुक कर देती है। हकीकतों में पलना सबसे सुंदर परवरिश है।
    विशेष कर संयुक्त परिवार में और प्रकृति के बीच रहना संसार का सबसे सुखद अनुभव है।
    मैं भी खुद को भाग्यशाली मानती हूँ कि मैं अपनी नानी के साथ रहती हूँ और आज तक उनसे तरह-तरह की कहानियाँ सुनती हूँ।
    हृदय से आभार इस सुंदर रचना के लिए।

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    1. प्रिय अनंता , आपकी प्रशंसनीय एवं स्नेहमयी प्रतिक्रिया मन खुश कर गई..बिल्कुल आपकी तरह मैं भी अपनी नानी के साथ रही हूँ..और मेरी कई कविताएँ उन्हीं के सानिध्य की देन हैं..वो तो अब नहीं हैं, पर उनसे बहुत कुछ सीखा है..आपको मेरा बहुत आभार एवं शुभकामनायें..

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  17. कागज की नाव से सागर को मथ डाला है।...बहुत सुंदर और प्रेरणास्पद सृजन। आपको बधाई और शुभकामनाएँ। सादर।

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    1. वीरेन्द्र जी आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया से सदैव मनोबल बढ़ता है स्नेहपूर्ण प्रशंसा भरी अभिव्यक्ति के लिए आपका हृदय से आभार..

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  18. हकीकततो


    हकीकत से निकली सुन्दर अभिव्यक्ति

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  19. ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..सादर नमन..

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  20. पुराने समय की स्काभाविक मधुर स्मृतियों को सहेजती ये रचना पुरानी , कर्मठ पुरोधा पीढ़ी के प्रति स्नेहिल उदगार हैं जिज्ञासा जी | सादा जीवन उच्च विचार के साथ , अभावों से आह्लाद का नाद पैदा करने में सक्षम थे हमारे पुराने लोग | अतीतानुरागी मन की निश्छल प्रस्तुति | हार्दिक स्नेह और शुभकामनाएं आपको | |

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  21. बहुत बहुत आभार प्रिय रेणु जी ..ब्लॉग पर आपकी निरंतर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया को पाकर अभिभूत हूं..आपका आभार एवम् अभिनन्दन ..अपना स्नेह बनाए रखें..आदर सहित..जिज्ञासा सिंह..

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  22. शब्द संयोजन उम्दा है सटीक कविता कविता में अंतर्मन के भाव भी खूब उभर कर आये हैं...

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  23. आपकी प्रशंसा मेरे लिए अनुपम है सादर नमन एवम वंदन..

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