उनके जैसा अब कौन यहां ?
इन वीरों को है कोटि नमन
आज़ाद हमें दे गए जहाँ ।।
थे क्रांतिवीर और वीर पुरुष
फाँसी पर जाकर झूल गए ।
हैं कौन ? कहाँ से आए हैं,
सब देश की ख़ातिर भूल गए ।।
जब बिगुल बजा आज़ादी का
वो सबसे आगे खड़े रहे ।
दिन रैन कभी देखा ही नहीं
वो सीना ताने अड़े रहे ।।
हूँ शीश झुकाए नतमस्तक
अब नमन मेरा स्वीकार करो ।
ऐ मातृभूमि के मस्तानों
जीवन अब तो उद्धार करो ।।
**जिज्ञासा सिंह**
दिन रैन कभी देखा ही नहीं, वो सीना ताने अड़े रहे । वाक़ई वे वीर बलिदानी ऐसी ही थे । आपने बहुत अच्छी श्रद्धांजलि अर्पित की है उन्हें जिज्ञासा जी । इसके लिए आपको भी नमन ।
जवाब देंहटाएंजी,आपका बहुत बहुत आभार जितेन्द्र जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को सादर नमन एवम वंदन।
हटाएंनमन उन वीरों को जिनकी वजह से हम आजाद है
जवाब देंहटाएंप्रीति जी आपकी प्रशंसा को हृदय से नमन करती हूं ।
हटाएंजब बिगुल बजा आज़ादी का
जवाब देंहटाएंवो सबसे आगे खड़े रहे ।
दिन रैन कभी देखा ही नहीं
वो सीना ताने अड़े रहे ।।
हूँ शीश झुकाए नतमस्तक
अब नमन मेरा स्वीकार करो ।
ऐ मातृभूमि के मस्तानों
जीवन अब तो उद्धार करो ।।---बहुत अच्छी कविता...जोश से भरी हुई।
संदीप जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन करती हूं, ब्लॉग पर आपके स्नेह की आभारी हूं ।
हटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार विश्वमोहन जी, आपकी प्रशंसनीय टिप्पणी का आदर करती हूं । कृपया स्नेह बनाए रखें ।
जवाब देंहटाएंशत्-शत् नमन।।।।।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार पुरुषोत्तम जी,सादर नमन ।
जवाब देंहटाएंपूरी रचना बहुत ही सुंदर, क्यों न हो हमारे वीरों के लिए लिखी गई है जिनकी वजह से हमें आजादी मिली है, उनके सम्मान में लिखी गई इस कविता के लिए तुम्हे हार्दिक बधाई हो जिज्ञासा, शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीया दीदी, आपकी उत्साहित करती प्रशंसा को हृदय से नमन करती हूं, ब्लॉग पर आपका हमेशा स्वागत है, दीदी होली के लोकगीत देखने मेरे गीतों के ब्लॉग पर,समय मिले तो अवश्य आइएगा आपका हार्दिक मनोरंजन होगा । आदर सहित जिज्ञासा ।
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशहादों को नमन।
आदरणीय शास्त्री जी,आपका बहुत बहुत आभार एवम नमन ।
हटाएंराष्ट्र प्रेम को उद्वेलित करती हुई रचना - - साधुवाद सह।
जवाब देंहटाएंशांतनु जी, आपका हार्दिक धन्यवाद एवम नमन ।
जवाब देंहटाएंदेश के वीरों को समर्पित
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली कविता
बहुत ही सुंदर
बधाई
ज्योति जी आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूं, ब्लॉग पर आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया का हार्दिक स्वागत करती हूं,सादर नमन ।
हटाएंखूबसूरत रचना, माँ के सपूतों को नमन
जवाब देंहटाएंगगन जी आपकी प्रशंसा को सादर नमन एवम वंदन ।
जवाब देंहटाएंजब बिगुल बजा आज़ादी का
जवाब देंहटाएंवो सबसे आगे खड़े रहे ।
दिन रैन कभी देखा ही नहीं
वो सीना ताने अड़े रहे ।।
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण गीत .. नमन शहीदों को ..
आदरणीय दीदी,आपका हार्दिक आभार। आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को सादर नमन ।
हटाएंशहीद दिवस के मौके पर बहुत सुंदर और प्रेरणादायी सृजन। आपको ढेरों बधाइयाँ।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार वीरेंद्र जी, आपकी प्रशंसा को सादर नमन है ।
जवाब देंहटाएंनमन है वीर क्रांतिकारियों को🌻
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार शिवम जी, होली की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई।
जवाब देंहटाएंदिन रैन कभी देखा ही नहीं
जवाब देंहटाएंवो सीना ताने अड़े रहे ।।
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण गीत .. नमन शहीदों को ..
आपका बहुत आभार आदरणीय संजय जी ।
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