पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखे हैं मैंने
बन ही गई किताब जुड़े जब सौ सौ पन्ने
पहली सीढ़ी चढ़ी औ पहला पायदान लकड़ी का
जीवन की कड़ियों में जुड़ती हर एक एक कड़ी का
कर स्मरण सजाए मैंने अपने सपने
पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखे हैं मैंने
जो भी थाती मिली वही बहुमूल्य लगी मुझको
क्या मुझको ? क्या तुझको,क्या ले जाना सबको
कर आँकलन बढ़ाए हर एक कदम धरा पर मैंने
पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखे हैं मैंने
वह मेरे हैं, मैं उनकी हूँ तनिक कभी न ठिठकी
मिली किरन की एक कनी मैं उसी दिशा में भटकी
अधरों पर मुस्कान चढ़ाए युद्ध लड़े हैं मैंने
पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखे हैं मैंने
कोई कभी गाह्य तो लेगा हाथ मेरा इस जग में
मूलमंत्र था यही, यही आशा थी मेरे रग में
पृष्ठों में हर बार ख़ुशी के पृष्ठ सजाए मैंने
पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखें हैं मैंने
**जिज्ञासा सिंह**
चित्र -साभार गूगल
वाह।
जवाब देंहटाएंशिवम जी,आपका बहुत बहुत आभार।
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 27 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय दीदी, नमस्कार !
हटाएंमेरी रचना को "पांच लिंकों का आनन्द"में शामिल करने के लिए आपका हृदयतल से आभार व्यक्त करती हूँ,सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ...
ढेर सारी प्रशंसा मांगती है यह काव्य-रचना। 'वह मेरे हैं' वाले अंतरे में यदि त्रुटि हुई हो तो सुधार लें। वैसे आपकी लेखनी उत्तरोत्तर मंजती और निखरती जा रही है जिज्ञासा जी, इसमें कोई संदेह नहीं।
जवाब देंहटाएंआपकी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत आभार जितेन्द्र जी, त्रुटि ठीक कर ली है,आपको मेरा नमन।
हटाएंकोई कभी गाह्य तो लेगा हाथ मेरा इस जग में
जवाब देंहटाएंमूलमंत्र था यही, यही आशा थी मेरे रग में
पृष्ठों में हर बार ख़ुशी के पृष्ठ सजाए मैंने
पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखें हैं मैंने
बहुत सुंदर रचना, जिज्ञासा दी।
ज्योति जी आपका बहुत बहुत आभार।
हटाएंजीवन का यथार्थ कहती सुन्दर अभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंअनुपमा जी,आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन।
हटाएंअधरों पर मुस्कान चढ़ाए युद्ध लड़े हैं मैंने
जवाब देंहटाएंपृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखे हैं मैंने ---वाह क्या खूब लिखा है जिज्ञासा जी, जीवन के पृष्ठ इसी तरह उलटती-पलटती जाइये---अद्भुत
अलकनंदा जी,प्रोत्साहित करने के लिए बहुत शुक्रिया आपका ,सादर नमन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति....🙏
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शरद जी,आपको सादर।
जवाब देंहटाएंआपकी अब तक जितनी भी रचनाएं देखी हैं उनमें मेरी नजर में सर्वश्रेष्ठ रचना है...वाह। लेखन जब हमें अपने अंदर ही खो जाने पर विवश कर दे, जब हम अपने आप से ही घंटों बतियाते रहें समझिये कि हम जो लिखने रहे हैं वह सर्वश्रेष्ठ कृति होने वाली है।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार संदीप जी,आपकी मनोबल बढ़ाती प्रशंसा को हार्दिक नमन।
हटाएंपलटे पृष्ठ, बदलते जीवन,
जवाब देंहटाएंकुछ शब्दों में पलते जीवन।
सुन्दर पंक्तियाँ।
बहुत बहुत आभार प्रवीण जी ।आपकी प्रशंसा को सादर नमन।
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (22 -6-21) को "अपनो से जीतना नहीं , अपनो को जीतना है मुझे!"'(चर्चा अंक- 4109 ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
--
कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभार कामिनी जी, आपने रचना को चयन किया ये मेरे लिए सौभाग्य है।बहुत शुभकामनाएं आपको।
हटाएंपृष्ठों के पृष्ठ देखें हैं और अपनी ज़िंदगी के पृष्ठ पढ़े हैं ।
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए सुंदर अभिव्यक्ति ।
आदरणीय दीदी,आपका आंखे आभार।आपको मेरा सादर अभिवादन।
जवाब देंहटाएंअधरों पर मुस्कान चढ़ाए युद्ध लड़े हैं मैंने
जवाब देंहटाएंपृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखे हैं मैंने
वाह!!!
कमाल का सृजन जिज्ञासा जी!
बहुत ही लाजवाब सृजन हेतु बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
बहुत आभार सुधा जी,सादर नमन।
हटाएंबहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार विनीता जी।
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार गगन जी, आपको मेरा सादर नमन।
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना |शत शत आशीष , शुभ कामनाएं इस मधुर गीत के लिए |
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर आपका बहुत बहुत आभार, आपकी प्रशंसा और स्नेह को सादर नमन।
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना मैम
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार प्रीति जी।
हटाएंबहुत बहुत ही सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंपहली सीढ़ी चढ़ी औ पहला पायदान लकड़ी का
जीवन की कड़ियों में जुड़ती हर एक एक कड़ी का
कर स्मरण सजाए मैंने अपने सपने
पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखे हैं मैंने...मन को छुती अभिव्यक्ति आदरणीय दी।
सादर
अनीता जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन।ब्लॉग पर आपकी बहुमूल्य टिप्पणी नव सृजन का आधार बनती है,कृपया स्नेह बनाए रखें।
जवाब देंहटाएंअधरों पर मुस्कान चढ़ाए युद्ध लड़े हैं मैंने
जवाब देंहटाएंबहुत गहन भावों से सज्जित बहुत सुंदर रचना
कितनी संवेदनाओं को समेटे अभिनव रचना।
बहुत बहुत आभार कुसुम जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता
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