पृष्ठों के पृष्ठ


पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखे हैं मैंने 

बन ही गई किताब जुड़े जब सौ सौ पन्ने 


पहली सीढ़ी चढ़ी औ पहला पायदान लकड़ी का 

जीवन की कड़ियों में जुड़ती हर एक एक कड़ी का 

कर स्मरण सजाए मैंने अपने सपने 

पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखे हैं मैंने 


जो भी थाती मिली वही बहुमूल्य लगी मुझको 

क्या मुझको ? क्या तुझको,क्या ले जाना सबको 

कर आँकलन बढ़ाए हर एक कदम धरा पर मैंने 

पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखे हैं मैंने 


वह मेरे हैं, मैं उनकी हूँ तनिक कभी न ठिठकी  

मिली किरन की एक कनी मैं उसी दिशा में भटकी  

अधरों पर मुस्कान चढ़ाए युद्ध लड़े हैं मैंने 

पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखे हैं मैंने 


कोई कभी गाह्य तो लेगा हाथ मेरा इस जग में 

मूलमंत्र था यही, यही आशा थी मेरे रग में 

पृष्ठों में हर बार ख़ुशी के पृष्ठ सजाए मैंने 

पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखें हैं मैंने 


**जिज्ञासा सिंह**

चित्र -साभार गूगल    

37 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 27 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आदरणीय दीदी, नमस्कार !
      मेरी रचना को "पांच लिंकों का आनन्द"में शामिल करने के लिए आपका हृदयतल से आभार व्यक्त करती हूँ,सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ...

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  2. ढेर सारी प्रशंसा मांगती है यह काव्य-रचना। 'वह मेरे हैं' वाले अंतरे में यदि त्रुटि हुई हो तो सुधार लें। वैसे आपकी लेखनी उत्तरोत्तर मंजती और निखरती जा रही है जिज्ञासा जी, इसमें कोई संदेह नहीं।

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    1. आपकी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत आभार जितेन्द्र जी, त्रुटि ठीक कर ली है,आपको मेरा नमन।

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  3. कोई कभी गाह्य तो लेगा हाथ मेरा इस जग में

    मूलमंत्र था यही, यही आशा थी मेरे रग में

    पृष्ठों में हर बार ख़ुशी के पृष्ठ सजाए मैंने

    पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखें हैं मैंने
    बहुत सुंदर रचना, जिज्ञासा दी।

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  4. जीवन का यथार्थ कहती सुन्दर अभिव्यक्ति !!

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    1. अनुपमा जी,आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन।

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  5. अधरों पर मुस्कान चढ़ाए युद्ध लड़े हैं मैंने

    पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखे हैं मैंने ---वाह क्‍या खूब ल‍िखा है ज‍िज्ञासा जी, जीवन के पृष्‍ठ इसी तरह उलटती-पलटती जाइये---अद्भुत

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  6. अलकनंदा जी,प्रोत्साहित करने के लिए बहुत शुक्रिया आपका ,सादर नमन।

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  7. बहुत बहुत आभार शरद जी,आपको सादर।

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  8. आपकी अब तक जितनी भी रचनाएं देखी हैं उनमें मेरी नजर में सर्वश्रेष्ठ रचना है...वाह। लेखन जब हमें अपने अंदर ही खो जाने पर विवश कर दे, जब हम अपने आप से ही घंटों बतियाते रहें समझिये कि हम जो लिखने रहे हैं वह सर्वश्रेष्ठ कृति होने वाली है।

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    1. बहुत बहुत आभार संदीप जी,आपकी मनोबल बढ़ाती प्रशंसा को हार्दिक नमन।

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  9. पलटे पृष्ठ, बदलते जीवन,
    कुछ शब्दों में पलते जीवन।

    सुन्दर पंक्तियाँ।

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    1. बहुत बहुत आभार प्रवीण जी ।आपकी प्रशंसा को सादर नमन।

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  10. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (22 -6-21) को "अपनो से जीतना नहीं , अपनो को जीतना है मुझे!"'(चर्चा अंक- 4109 ) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. बहुत बहुत आभार कामिनी जी, आपने रचना को चयन किया ये मेरे लिए सौभाग्य है।बहुत शुभकामनाएं आपको।

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  11. पृष्ठों के पृष्ठ देखें हैं और अपनी ज़िंदगी के पृष्ठ पढ़े हैं ।
    गहन भाव लिए सुंदर अभिव्यक्ति ।

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  12. आदरणीय दीदी,आपका आंखे आभार।आपको मेरा सादर अभिवादन।

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  13. अधरों पर मुस्कान चढ़ाए युद्ध लड़े हैं मैंने

    पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखे हैं मैंने

    वाह!!!
    कमाल का सृजन जिज्ञासा जी!
    बहुत ही लाजवाब सृजन हेतु बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

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  14. आपका बहुत बहुत आभार विनीता जी।

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  15. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना |शत शत आशीष , शुभ कामनाएं इस मधुर गीत के लिए |

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  16. आदरणीय सर आपका बहुत बहुत आभार, आपकी प्रशंसा और स्नेह को सादर नमन।

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  17. बहुत बहुत ही सुंदर सृजन।
    पहली सीढ़ी चढ़ी औ पहला पायदान लकड़ी का

    जीवन की कड़ियों में जुड़ती हर एक एक कड़ी का

    कर स्मरण सजाए मैंने अपने सपने

    पृष्ठों के भी पृष्ठ कई देखे हैं मैंने...मन को छुती अभिव्यक्ति आदरणीय दी।
    सादर

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  18. अनीता जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन।ब्लॉग पर आपकी बहुमूल्य टिप्पणी नव सृजन का आधार बनती है,कृपया स्नेह बनाए रखें।

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  19. अधरों पर मुस्कान चढ़ाए युद्ध लड़े हैं मैंने
    बहुत गहन भावों से सज्जित बहुत सुंदर रचना
    कितनी संवेदनाओं को समेटे अभिनव रचना।

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