ये इतने तोते कहाँ से आए आसमान में
दिखता सारा गगन आज है हरा हरा
छोटे छोटे होंठ रसीले छोटे छोटे टोंट
देख देख के हुआ मगन मैं होकर लोटपोट
कुतर कुतर ये आम गिराए मेरे ही बाग़ान में
उनकी कुतरन से गुलशन है भरा भरा
ये इतनी गौरैया कहाँ से आईं हैं, मेरे दालान में
चिड़ियाघर है दिखता आँगन आज मेरा
नन्हें नन्हें पंखों वाली प्यारी सी ये चिड़िया
दाना चुगती ऐसे, जैसे खिले फूल की कलियाँ
चूँ चूँ चाँ चाँ फुर फुर उड़ती पूरे घर मकान में
सरगम जैसी बजती घर संगीत भरा
ये श्वेत,सलेटी चार कबूतर बैठे,रोशनदान में
करते गुटुर गुटुर गूँ गूँजे चौबारा
श्वेत कबूतर शांति दूत कहलाते
पहले तो ये चिट्ठी लेकर आते जाते
लगभग पूरी दुनिया में ये पाए जाते
द्वीपों, ठंडी जगहों से डरते हैं ज़रा
ये सात रंग के मोर कहाँ से आए हैं मैदान में
इंद्रधनुष सी दिखती सुंदर आज धरा
शीश पे शोभित मुकुट चंद्रिकन वाला
झूम झूम कर नाच दिखावे नर्तकप्रिय मतवाला
करे मयूरी अठखेली जब सारंग के सम्मान में
लगता कुंजनवन धरती पर है, पसरा
**जिज्ञासा सिंह**
बहुत सुंदर 🌻🕊️🦚🐥🦜
जवाब देंहटाएंशिवम् जी, आपका बहुत बहुत आभार।
हटाएंबड़ी प्यारी बाल कविता रची है जिज्ञासा जी आपने। काश एक अंतरा या छंद कबूतरों पर भी होता!
जवाब देंहटाएंजितेन्द्र जी, आपका सुझाव मैंने पूरा करने की कोशिश की है,कभी कभी भाव होते हैं,पर विचार नहीं आते,आपके मनोबल बढ़ाते शब्द सृजन की प्रेरणा बनते हैं,आप ये अंतर ज़रूर पढ़ें,आपको विनम्र नमन।
हटाएंमैं समझता हूँ जिज्ञासा जी। आपने एक अतिरिक्त छंद रचने का श्रम किया, अनुगृहीत हूँ। मैं स्वयं पशु-पक्षियों से अत्यन्त प्रेम करता हूँ। कबूतरों को (साथ ही चिड़ियों, तोतों एवं मोरों को भी) दाना खिलाना हमारे घर का मानो कोई नियम ही है जो वर्षों से अनवरत चला आ रहा है। बस यही कारण था इस कामना के पार्श्व में। आपने तो अविलम्ब इसे पूरा ही कर दिया। आपके कृतज्ञता-ज्ञापन हेतु शब्द पर्याप्त नहीं।
हटाएंसुन्दर बाल कविता !!मन प्रफुल्लित कर रही !!
हटाएंबहुत बहुत आभार अनुपमा जी,आपके शब्द आनंदित कर गए।
हटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
बालमन को ज़रुर भाएगी यह कविता.
रवींद्र सिंह जी,आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया के लिए आपका कोटि कोटि आभार एवं वंदन।
जवाब देंहटाएंवाह जिज्ञासा ! तुमने तो बच्चों के साथ-साथ हमारी भी तमाम प्यारे-प्यारे पंछियों से मुलाक़ात करा दी.
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर आपको कविता अच्छी लगी,सृजन सार्थक हुआ।आपको मेरा सादर नमन एवम वंदन।
हटाएंमाहौल कितना भी उदास मायूस हो ये नन्हें परिंदे उसे गुलजार कर देते हैं ! उम्दा कृति
जवाब देंहटाएंगगन जी, आपका बहुत बहुत आभार, आपकी प्रशंसा को हार्दिक नमन।
हटाएंअहा, दृश्य मनोरम, सब बटोर लें।
जवाब देंहटाएंप्रवीण जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन ।
हटाएंवाह! सुंदर!!!
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार आदरणीय सर,आपको मेरा नमन एवम वंदन।
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(29 -6-21) को "मन की बात नहीं कर पाया"(चर्चा अंक- 4110 ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
--
कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभार कामिनी जी, सादर शुभकामनाएं ।
हटाएंबहुत ही सुंदर बाल कविता रची है आपने।
जवाब देंहटाएंजिस भी पक्षी का जिक्र आता उसकी तस्वीर दिमाग आ जाती है।
मेरे नए ब्लॉग पर इस बार की पोस्ट साहित्यिक रचना से सम्बंधित हैं पुलिस के सिपाही से by पाश
प्रशंसा के लिए आपका बहुत बहुत आभार रोहितास जी, सादर नमन।
जवाब देंहटाएंपक्षियों के मनोहारी सृजन पर बच्चों के समान मेरा भी मन रीझ गया .. अति सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार मीना जी, आपकी प्रशंसा को हार्दिक नमन एवम वंदन।
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना 👌
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनुराधजी,आपकी प्रशंसा को हार्दिक नमन।
जवाब देंहटाएंवाह! इतने प्यारे प्यारे पाखी जिनके आँगन रमते हैं उसकी लेखनी फिर क्यों नहीं इतने प्यारे गीत रचेगी।
जवाब देंहटाएंबहुत मोहक मनहर सृजन जिज्ञासा जी।
सस्नेह।
बहुत बहुत आभार कुसुम जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया हमेशा नव सृजन के लिए उत्साहित करती है।
हटाएंसुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार जोशी जी,आपको मेरा सादर अभिवादन।
जवाब देंहटाएंनन्हें नन्हें पंखों वाली प्यारी सी ये चिड़िया
जवाब देंहटाएंदाना चुगती ऐसे, जैसे खिले फूल की कलियाँ
चूँ चूँ चाँ चाँ फुर फुर उड़ती पूरे घर मकान में
सरगम जैसी बजती घर संगीत भरा
वाह!!!!
बहुत ही सुन्दर मनभावन बालगीत रचा है आपने जिज्ञासा जी
बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
आपका बहुत बहुत आभार सुधाजी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन।
हटाएंखूबसूरत बाल गीत । मनमोहक पक्षियों को भी कलमबद्ध किया गया ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय दीदी,आपका बहुत बहुत आभार, आपकी प्रशंसा को हार्दिक नमन एवम वंदन।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना बच्चों के लिए साधु साधु|
जवाब देंहटाएंबहुत आभार विमल जी,आपको मेरा सादर नमन।
जवाब देंहटाएंआदरणीया मैम, प्रकृति के मनोहरतम रूप को सँजोई हुई बहुत सुंदर रचना । सच बहुत भाग्यशाली होगा वह आँगन जहाँ इतने रंग-बिरंगे पक्षी नित्य आते हों और माँ प्रकृति का आशीष ऐसे बरसता हो ।
जवाब देंहटाएंआपकी यह कविता इतने सुंदर चित्र को उकेरती है कि हमारा मन भी मयूर की तरह आनंदित हो जाता है। बहुत दिनों पर आई हूँ, इसके लिए क्षमा और आपको अनेकों बार प्रणाम ।
प्रिय अनंता मैं मैं प्रकृति,पक्षी गांव की बड़ी प्रेमी हूं,बड़ा मोह है इनसे मेरा,फिर पक्षियों से मुलाकात होती रहती है,मेरे घर में बहुत पक्षी आते रहते हैं,आखिर आम काा, चीकू का,अमरूद का पेड़ जो लगा है,काफी दिनों से तो बाज और चमगादड़ भी आने लगे थे, पर वो छोटी चिड़ियों को परेशान करते थे, सो मैंने उन्हें भगाया । यही तो जीवन है प्यारी दोस्त।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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