झरनों का संगीत सुना तो होगा
मद्धिम गाते गीत सुना तो होगा
कल कल छन छन उज्ज्वल सी बहती धारा का
आते जाते प्रीत सुना तो होगा
कितने प्रस्तर कितने कंटक राह में आए
सबके सम्मुख अपना मस्तक सदा उठाए
बूंद बूंद से सागर की लहरों की मानिंद
हार में भी एक जीत सुना तो होगा
झरना झर झर अपना सब कुछ देता झाड़
कितना हो दुर्गम, कितना हो खड़ा पहाड़
चलकर रुकना, बीच में थकना न जाने वो
सदा विजय की नीत सुना तो होगा
राह में मिलती गंध छोड़ता जाता वो
नभ की मधुर सुगंध धरा पर लाता वो
नैनो में बस जाता, हिय की प्यास बुझाता
हर मन का मनमीत सुना तो होगा
**जिज्ञासा सिंह**
झरने के सुर में सुर मिलाता मनमोहक सृजन प्रिय जिज्ञास जी 👌👌!, झरने की अपनी लय अपना संगीत होता है औरजीवट प्रवाह कथा होती है। बहुत बढ़िया प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।🌷🙏🌷🌷
जवाब देंहटाएंप्रिय रेणु जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया का हार्दिक स्वागत है आपको मेरा नमन एवम वंदन।
हटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शनिवार (07-08-2021) को "नदी तुम बहती चलो" (चर्चा अंक- 4149) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद सहित।
"मीना भारद्वाज"
आदरणीय मीना जी, नमस्कार !
हटाएंचर्चा मंच में मेरी रचना के चयन के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन। सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह।
बहुत सुंदर ♥️🌼
जवाब देंहटाएंशिवम जी,आपका बहुत बहुत आभार एवम नमन।
हटाएंवाह! बहुत मोहक रचना।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर आपकी प्रशंसा ने कविता को सार्थक कर दिया, आपका बहुत बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार अनुराधा जी,आपको मेरा सादर नमन।
हटाएंझरने के तरह ही गतिमान काव्य का प्रवाह, स्पष्ट सुनायी पड़ रहा है। सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार प्रवीण जी,आपको मेरा सादर नमन।
हटाएंहम प्रकृति से दूर क्या हुए, गीत-संगीत से भी अपरिचित से हो गए.
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार आदरणीय सर, आपको मेरा सादर नमन।
हटाएंबहुत बढियां, झरना गीत गाती हिय की प्यास बुझाती
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार विनीता जी,आपको मेरा सादर नमन।
हटाएंअत्यंत मन्होहक रचना.
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपकी टिप्पणी का हार्दिक स्वागत है, आपका बहुत बहुत आभार अनिल जी,आपको मेरा सादर नमन।
हटाएंमनमोहक रचना.
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार।
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार ओंकार जी,आपको मेरा सादर नमन।
हटाएंसुन्दर भाव पूर्ण रचना!!
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार अनुपमा जी,आपको मेरा सादर नमन।
हटाएंबहुत सुंदर और गहन रचना...। भावों से परिपूर्ण...।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार संदीप जी, आपको मेरा सादर नमन।
हटाएंबहुत सुंदर जिज्ञासा जी! झरने के मधुर कलछल सी सुंदर रचना , निरंतर चलती प्रवाह लिए।
जवाब देंहटाएंप्रकृति का अनुपम उपहार है झरने ।
बहुत बहुत सुंदर।
आपकी सुंदर प्रतिक्रिया रचना को सार्थक कर गई,आपको मेरा सादर नमन।
जवाब देंहटाएंनैनो में बस जाता, हिय की प्यास बुझाता।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन आदरणीय , बहुत बधाइयाँ ।
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय।
हटाएंबहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
अनीता जी आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को नमन एवम वंदन।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सुना है झरने का संगीत और अब तो गीत भी पढ़ लिया । बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंआपने झरने को और मेरे गीत दोनो को ही अपने शब्दों से सार्थक कर दिया आपको मेरा नमन और वंदन।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर मधुर गीत
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका । आपकी टिप्पणी से रचना सार्थक हो गई, आपको मेरा सादर नमन एवम वंदन
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