वर्ण पिरामिड

चिंतन मनन
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ये
हवा
पुरवा
पुरवाई
बासंती लाई
रम्य आवरण
प्रकृति संरक्षण ।।

ले
शक्ति
आसक्ति
सीमा पर
फौजी सैनिक
होते हैं कुर्बान
हमारे अभिमान ।।

वे
मांगें
दहेज
मिटा मान
खोते सम्मान
लालच खातिर
लोभी बड़े शातिर ।।

वो
बाला
अबला
भ्रूणहत्या 
मानवकृत्य
की हुई शिकार 
मत करो संहार ।।

**जिज्ञासा सिंह**
     लखनऊ

21 टिप्‍पणियां:

  1. आपके कुछ शब्द मेरी प्रेरणा हैं, आपको मेरा सादर नमन आदरणीय सर 🙏

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 21 सितम्बर 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आदरणीय यशोदा दीदी,रचना के चयन के लिए आपका बहुत बहुत आभार । सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।

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  3. वाह! वर्ण-सजावट की प्रयोगधर्मिता की जिज्ञासा को जगाती जिज्ञासा।

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  4. आपका बहुत बहुत आभार विश्वमोहन जी,आपके प्रोत्साहन भरे शब्द हमेशा प्रेरित करते हैं,विनम्र नमन और अभिवादन ।

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  5. वाह , कठिन है ।लेकिन तुमने लिखा । बहुत अच्छा और अलग अलग विषय को छुआ है । 👍👍👍👍
    बहुत खूब।

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    1. आपका अवलोकन ही सृजन को सार्थक कर गया, मुझे क्षणिकाओं में आनंद आता है सो ये विधा भी अच्छी लगी ,आपकी सराहना के लिए असीम आभार आदरणीय दीदी ।

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  6. बहुत सुंदर जिज्ञासा जी। इस विधा में आमतौर पर हाथ तंग होता है पर आपने सभी विधय सुघड़ता से सजाए हैं। बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं इस सफ़ल प्रयोग के लिए 🙏🌷🌷💐💐

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    1. आपको तो ब्लॉग पर मौजूद देख खुशी हुई,आनंद आ गया ,स्नेह की आभारी हुं। नमन ।

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  7. बहुत सुंदर वर्ण पिरामिड।
    सारे अच्छे हैं।
    -----
    हाँ
    भाव
    अभाव
    उद्वेलित
    हिय संवेद
    सचित्र रचना
    उकेरती तूलिका।
    -----
    सस्नेह

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    1. क्या बात हैं ? बहुत सुंदर संवाद करती हुई पंक्तियाँ । क्षणिकाओ से मेरा पुराना नाता है,पर ये विधा भी मन को भा रही । बहुत आभार आपका श्वेता जी ।

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  9. जी,सही कहा आपने,छोटा सा प्रयास है ।आपका आभार ।

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  10. एक कठिन कार्य की सुगम प्रस्तुति ! बहुत सुंदर

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  11. शब्दो को तोल कर गहरे अर्थ में लिखना...बहुत ही श्रमसाध्य केसरी है। बहुत बधाई जिज्ञासा दी।

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