दो सितारे जगमगाए गगन में,
और उजाला इस जमी पर हो गया ।
महात्मा गाँधी, बहादुर लाल जैसा,
अग्रणी इस देश को था मिल गया ।।
स्वप्न में था राष्ट्र उनके बस गया,
स्वतंत्रता का भाव लेकर जागते वो ।
है हमें आजाद होना फिरंगी से,
बस दुआ दिन रात प्रभु से माँगते वो ।।
अलख थी ऐसी जगाई राष्ट्र में,
स्वतंत्रता की जोति ले सब चल पड़े ।
स्वयं को पीछे ही रक्खा देश से,
रात दिन लड़ते रहे आगे खड़े ।।
देश है आजाद दिखता हम सभी को,
पर न दिखती पीछे की कुर्बानियाँ ।
प्राण देकर देश पर वो जा चुके हैं,
छोड़कर बलिदान की नीशानियाँ ।।
हर तरफ उनकी निशानी दिख रही,
पर विचारों का हनन करते सभी ।
नाम का उनके निरंतर जाप करते
कर्म उन जैसा नहीं करते कभी ।।
बस दिखावे के लिए ही अब सही,
उन महापुरूषों को कर लें हम नमन ।।
कर गए सरबस निछावर जो धरा को,
और सुरक्षित कर गए हैं ये वतन ।।
**जिज्ञासा सिंह**
चित्र: सुनीता रामन
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 03 अक्टूबर 2021 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
रचना के चयन के लिए आपका बहुत बहुत आभार यशोदा दीदी, आपका हार्दिक अभिनंदन और वंदन करती हूं, शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।
जवाब देंहटाएंदेश है आजाद दिखता हम सभी को,
जवाब देंहटाएंपर न दिखती पीछे की कुर्बानियाँ ।
प्राण देकर देश पर वो जा चुके हैं,
छोड़कर बलिदान की नीशानियाँ ।।
अमर शहीदों की कुर्बानियाँ याद करें न करें आलोचनाएं तो ना करें उनकी...
श्रद्धांजलि स्वरूप बहुत ही उत्कृष्ट सृजन हेतु बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
बहुत बहुत आभार सुधा जी,आपकी प्रतिक्रिया इतनी सशक्त होती है, कि कविता को विस्तार मिलता है और नव सृजन मार्ग प्रशस्त होता है,सदैव स्नेह की आभारी हूं,आपको मेरा सादर नमन ।
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (3-10-21) को "दो सितारे देश के"(चर्चा अंक-4206) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
------------
कामिनी सिन्हा
चर्चा मंच में रचना का चयन होना हमेशा सृजन की सार्थकता को दर्शाता है, जिसकी अनुभूति एक सुखद अहसास देती है, जिसके लिए मैं आपकी निरंतर आभारी हूं,आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं प्रिय कामिनी जी ।
हटाएंदो सितारे जगमगाए गगन में,
जवाब देंहटाएंऔर उजाला इस जमी पर हो गया ।
महात्मा गाँधी, बहादुर लाल जैसा,
अग्रणी इस देश को था मिल गया ।।
माँ भारती के दोनों लालों बहुत भावपूर्ण श्रद्धांजलि प्रिय जिज्ञासा जी |दोनों का अनत उपकार है मातृभूमि की जनता पर |उन्हें हमेशा याद रखना और उनके प्रति कृतज्ञता का भाव रखना हम सबका पुनीत कर्तव्य है | गाँधी जी और लालबहादुर शास्त्री जी को कोटि नमन |
आपका कोटि कोटि आभार प्रिय रेणु जी,आपकी सुंदर समीक्षात्मक प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत अभिनंदन ।आपकी प्रतिक्रिया ने रचना को सार्थक कर दिया । बहुत शुभकामनाएं सखी ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ओंकार जी ।
हटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंदो सितारे चाँद सूरज जैसे जो सचमुच अपनी आभा उर्जा से देश को आलोकित और उर्जावान कर ग्रे।
शश शत नमन ऐसी महान विभूतियों को।
सस्नेह।
बहुत बहुत आभार कुसुम जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन ।
जवाब देंहटाएंदोनों महापुरुषों को आपकी यह काव्यमय श्रद्धांजलि निस्संदेह प्रशंसनीय है जिज्ञासा जी। नमन उन्हें तथा अभिनन्दन आपका।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार जितेन्द्र जी,आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन ।
जवाब देंहटाएं