चाँद और तुम...कहमुकरियाँ


आधा गोरा आधा काला 
रूप बदलता गड़बड़झाला
मुझे देख मुस्काता मंद
क्या सखि साजन ? ना सखि चंद ।।

सुन्दर मुंदर गोल मटोल
आया चार दिशाएँ डोल
उसे देख जाती मैं हँसि
क्या सखि साजन ? ना सखि शशि ।।

जग सोता वो तब है आता 
देख भोर एकदम छुप जाता
रातों का शैतान परिंदा
क्या सखि साजन ? ना सखि चंदा ।।

बड़ी अनोखी उसकी सज्जा
देख मुझे पर आए लज्जा
रात्रि समय करता आदाब
क्या सखि साजन ? ना महताब ।।

दिखे सदा छत पर नादान
घूमे खेत और खलिहान
भर लूँ उसको अपने अंक
क्या सखि साजन ? ना मयंक ।।

मन के भीतर है रहता वो
अक्सर सबको है दिखता जो  
 जब दिल चाहे बदले भेष
क्या सखि साजन ? ना राकेश ।।

दिखा शकल फिर गायब वो
ऐसे रोज चिढ़ाता है जो
भौहों बीच सजा वो बिंदु
क्या सखि साजन ? ना सखि इंदु ।।

**जिज्ञासा सिंह**

23 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! जिज्ञासा जी चाँद पर सुंदर कह मुकरियाँ।
    अभिनव सृजन।

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    1. कुसुम जी,आपका बहुत आभार। सोचा था कहमुकारियों पे आपसे पहले हस्ताक्षर करवा लूं,तब ब्लॉग पर डालूं। ईश्वर ने सुन ली, और मेरे मन की हो गई पहली समीक्षा आप ही की आ गई, आपको मेरा नमन एवम वंदन ।

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  2. अद्भुत... अप्रतिम...अति सुन्दर ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन ।

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  3. अद्भुत... अप्रतिम...अति सुन्दर ।

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  4. बहुत सुंदर मुकरियां, जिज्ञासा दी।

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    1. बहुत बहुत आभार ज्योति जी,आपकी प्रशंसा को सादर नमन ।

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  5. बहुत बढ़िया प्रिय जिज्ञासा जी। चांद के सभी नामों की महिमा बढ़ा दी आपने। मनभावन कहमुकरियां 👌👌।

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    1. आपका बहुत बहुत आभार रेणु जी, आपकी प्रशंसा ने कहमुकरियों में चार चांद लगा दिए।आपको मेरा सादर नमन

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  6. वाह जिज्ञासा !
    चन्द्रमा के और भी बहुत से पर्यायवाची तो अभी भी तुम्ही कह-मुकरियों में आने को आतुर हैं !

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  7. आदरणीय सर,
    आपका ये वाह,मेरे सृजन का द्योतक है, अब अगली कड़ी में,जरूर लिखूंगी । आपको मेरा नमन 🙏🙏

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  8. उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी, आपकी प्रशंसा को सादर नमन ।

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  9. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26 -10-21) को "अदालत अन्तरात्मा की.."( चर्चा अंक4228) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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  10. आपका बहुत बहुत आभार कामिनी जी । मंच पर रचना का चयन एक गर्व का विषय है । आपको मेरा नमन एवम हार्दिक शुभकामनाएं ।

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  11. यह एक विशिष्ट विधा है पद्य-साहित्य की। आपने इस पर प्रयास किया है जिज्ञासा जी। केवल एक ही वस्तु (चन्द्रमा) को लेकर रची गई इतनी सारी कहमुकरियां अपने आप में एक विशिष्टता को स्थापित करती हैं। अभिनन्दन आपका।

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    1. आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन ।

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  12. वाह चाँद पर बेहद खूबसूरत कहमुक़री

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  13. चंद्रमा के पर्यायवाची के साथ बहुत सुंदर प्रयोग , सुंदर रचना आदरणीय ।

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  14. आपकी प्रशंसा को हार्दिक नमन एवम वंदन ।

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