रूप बदलता गड़बड़झाला
मुझे देख मुस्काता मंद
क्या सखि साजन ? ना सखि चंद ।।
सुन्दर मुंदर गोल मटोल
आया चार दिशाएँ डोल
उसे देख जाती मैं हँसि
क्या सखि साजन ? ना सखि शशि ।।
जग सोता वो तब है आता
देख भोर एकदम छुप जाता
रातों का शैतान परिंदा
क्या सखि साजन ? ना सखि चंदा ।।
बड़ी अनोखी उसकी सज्जा
देख मुझे पर आए लज्जा
रात्रि समय करता आदाब
क्या सखि साजन ? ना महताब ।।
दिखे सदा छत पर नादान
घूमे खेत और खलिहान
भर लूँ उसको अपने अंक
क्या सखि साजन ? ना मयंक ।।
मन के भीतर है रहता वो
अक्सर सबको है दिखता जो
जब दिल चाहे बदले भेष
क्या सखि साजन ? ना राकेश ।।
दिखा शकल फिर गायब वो
ऐसे रोज चिढ़ाता है जो
भौहों बीच सजा वो बिंदु
क्या सखि साजन ? ना सखि इंदु ।।
**जिज्ञासा सिंह**
वाह! जिज्ञासा जी चाँद पर सुंदर कह मुकरियाँ।
जवाब देंहटाएंअभिनव सृजन।
कुसुम जी,आपका बहुत आभार। सोचा था कहमुकारियों पे आपसे पहले हस्ताक्षर करवा लूं,तब ब्लॉग पर डालूं। ईश्वर ने सुन ली, और मेरे मन की हो गई पहली समीक्षा आप ही की आ गई, आपको मेरा नमन एवम वंदन ।
हटाएंअद्भुत... अप्रतिम...अति सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका मीना जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन ।
हटाएंअद्भुत... अप्रतिम...अति सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मुकरियां, जिज्ञासा दी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ज्योति जी,आपकी प्रशंसा को सादर नमन ।
हटाएंबहुत बढ़िया प्रिय जिज्ञासा जी। चांद के सभी नामों की महिमा बढ़ा दी आपने। मनभावन कहमुकरियां 👌👌।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार रेणु जी, आपकी प्रशंसा ने कहमुकरियों में चार चांद लगा दिए।आपको मेरा सादर नमन
हटाएंवाह जिज्ञासा !
जवाब देंहटाएंचन्द्रमा के और भी बहुत से पर्यायवाची तो अभी भी तुम्ही कह-मुकरियों में आने को आतुर हैं !
आदरणीय सर,
जवाब देंहटाएंआपका ये वाह,मेरे सृजन का द्योतक है, अब अगली कड़ी में,जरूर लिखूंगी । आपको मेरा नमन 🙏🙏
सुंदर कह मुकरियाँ । 👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी, आपकी प्रशंसा को सादर नमन ।
हटाएंअद्भुत अति सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार प्रिय मनीषा ।
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26 -10-21) को "अदालत अन्तरात्मा की.."( चर्चा अंक4228) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
आपका बहुत बहुत आभार कामिनी जी । मंच पर रचना का चयन एक गर्व का विषय है । आपको मेरा नमन एवम हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंयह एक विशिष्ट विधा है पद्य-साहित्य की। आपने इस पर प्रयास किया है जिज्ञासा जी। केवल एक ही वस्तु (चन्द्रमा) को लेकर रची गई इतनी सारी कहमुकरियां अपने आप में एक विशिष्टता को स्थापित करती हैं। अभिनन्दन आपका।
जवाब देंहटाएंआपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन ।
हटाएंवाह चाँद पर बेहद खूबसूरत कहमुक़री
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनीता जी
हटाएंचंद्रमा के पर्यायवाची के साथ बहुत सुंदर प्रयोग , सुंदर रचना आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंआपकी प्रशंसा को हार्दिक नमन एवम वंदन ।
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