पिरामिड: मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम

श्री
राम
अराध्य
मरयादा
पुरषोत्तम
रघु कुल मणि
अवध शिरोमणि ।।

हे
राम
विनती
करें प्राणी
करो उद्धार
कलयुग आया
मानव भरमाया ।।

माँ 
मान
सम्मान
निष्कासन
वन गमन
हँसते हँसते
राम लक्ष्मण सीते ।।

वो
राम
रावण
विभीषण
सीता हरण 
घनघोर रण
जीत ध्वजारोहण ।।

हैं
नर
महान
रघुवर
नारायण भी
बसाते हृदय,
सृष्टि के प्राणी सभी ।।

**जिज्ञासा सिंह**

14 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (17-11-2021) को चर्चा मंच        "मौसम के हैं ढंग निराले"    (चर्चा अंक-4251)     पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    --
     हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   
    'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय शास्त्री जी, प्रणाम !
      चर्चा मंच पर मेरे पिरामिड सृजन को स्थान मिलना गर्व का विषय है,आपकी तहेदिल से आभारी हूं, आपको मेरा सादर नमन एवम वंदन ।आपको और चर्चा मंच को हार्दिक शुभकामनाएं ।

      हटाएं
  2. वाह ! सबसे सुन्दर पिरामिड -
    माँ
    मान
    सम्मान
    निष्कासन
    वन गमन
    हँसते हँसते
    राम लक्ष्मण सीते ।।

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी प्रशंसा ने रचना को सार्थक बना दिया । आपके स्नेह की आभारी हूं, आपको मेरा सादर अभिवादन ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर रचना।हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  5. लाजवाब वर्ण पिरामिड...
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बहुत आभार सुधा जी । आपकी प्रशंसा को हार्दिक नमन ।

    जवाब देंहटाएं