राम जी पधारेंगे


आजु द्वार ठाढ़े सभी, 
दीपों का थाल लिए,
मेरे प्रभु रामजी,
वन से पधारेंगे ।

अँचरा के कोर से,
अँगना बुहार रही,
भरके परात जल,
चरण पखारेंगे ।

लड़ियाँ लगाय,  
दूँगी कलश भराय,
सखी दियना जलाय,
पूरे अवध को साजेंगे ।

चंदन चौकिया पे,
फुलवा बिछाय दूँगी,
राम लछिमन और,
जानकी विराजेंगे ।

**जिज्ञासा सिंह**

18 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०६-११-२०२१) को
    'शुभ दीपावली'(चर्चा अंक -४२३९)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. बहुत बहुत आभार अनीता जी,रचना के चयन के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन ।

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  2. शुभ दीपावली। जय श्रीराम।

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  3. बहुत सुंदर भाव भरा भक्ति पूर्ण सृजन।
    दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
    सस्नेह।

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  4. बहुत बहुत आभार आपका ।आपको मेरा सादर नमन ।

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