और कौन प्रभु खेवनहार ?

और कौन प्रभु खेवनहार ?

धरती से ऊपर पग हैं,
औ धरती खींच रही मुझको ।
हाथ अंजूरी कढ़ी हुई,
मैं पग पग ढूँढ रही तुझको ।।

मेरे मन की शंकाओं की,
सुन लो अब तो करुण पुकार ।

डाल डाल पर बैठ चुकी मैं ।
हर डाली है टूटी खंडित, ।।
मगर सुनहरे धागों से खुद,
को करती महिमामंडित ।।

मैं भूखी प्यासी तंद्रा में,
भागी फिरती हार कछार ।

वह बीती बातों की चर्या ।
तुम्हें सुनाकर पाऊँ क्या ?
जिनके टूटे तारों से मैं,
मधुर गीत फिर गाऊँ क्या ?

वीणा की धुन अन्तर्मन से,
प्रतिपल मुझसे करे गुहार ।

छाई काली घटा काट के ।
रश्मिप्रभा आई सज के ।।
मस्तक झुका हुआ रमता है,
चरणों की कोमल रज के ।।

करूँ आचमन गंगाजल से,
पहनाती पुष्पों का हार ।
और कौन प्रभु खेवनहार ?

**जिज्ञासा सिंह**

22 टिप्‍पणियां:

  1. वाह !
    प्रभु-दर्शन को मीरा जैसी व्याकुलता !

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  2. भक्तिभाव में डूबी सुंदर कृति, वाकई ईश्वर के बिना मानव का कौन सहारा है

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    1. बहुत बहुत आभार आपका अनीता जी,आपकी प्रशंसा को सादर नमन एवम वंदन ।

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  3. करूँ आचमन गंगाजल से,
    पहनाती पुष्पों का हार ।
    और कौन प्रभु खेवनहार ?,,,,भक्ति में डूबी हुई बहुत सुंदर रचना,सच है ईश्वर के सिवा कुछ भी नहीं है ।

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  4. भक्ति भाव से पूर्ण लाजबाब रचना।

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  5. बहुत बहुत आभार दीदी, प्रशंसा के लिए आपका आभार और नमन ।

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  6. भक्ति की शक्ति यही है साधो,
    प्रभु वश में भागे आते हैं।

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  7. बहुत बहुत आभार प्रवीण जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन ।

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  8. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 14 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  9. रचना के चयन के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी । शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह 🙏🙏💐💐

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  10. बहुत बहुत आभार आदरणीय जोशी जी, आपको मेरा सादर नमन एवम वंदन ।

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  11. आस्था आशा और भक्ति का सुंदर समन्वय ।
    बहुत सुंदर भाव लिए सुंदर सृजन।

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  12. बहुत बहुत आभार आपका कुसुम जी । आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन ।

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  13. डाल डाल पर बैठ चुकी मैं ।
    हर डाली है टूटी खंडित, ।।
    मगर सुनहरे धागों से खुद,
    को करती महिमामंडित ।।

    मैं भूखी प्यासी तंद्रा में,
    भागी फिरती हार कछार
    वाह!!!
    आस्था और श्रद्धाभाव से भरी लाजवाब कृति।

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  14. आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन। ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति नव सृजन का मार्ग प्रशस्त करती है ।आभार प्रिय सखी ।

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