विधि की लिखी

छमाछम बाँधकर पैरों में पायल, विपत्ति आ है जाती । 
हमारे शीश चढ़कर गीत, कुछ यूँ गुनगुनाती ।।

कि ढूढूँ मार्ग मैं कि वो आ गई है कब किधर से,
वो दरम्याने खड़ी उस मार्ग की रेखा मिटा जाती ।।

वो आती तो बड़ी चुप, शांत और गंभीर सी दिखती,
मगर मीठी छुरी की नोंक हमको है चुभाती ।।

कभी वो ऐसे आती कि धमाका शहर में होता,
कि ज्वाला की लपट आँगन में मेरे आग बरसाती ।।

धड़ाधड़ उखड़ जाती जिंदगी की वो मिनारें,
है जिनकी नींव भी पाताल के नीचे रखी जाती ।।

अरे हम समझ पाते जिंदगी के खेल मतवाले,
धरा पर पाँव पड़ते ही सजग तंद्रा ये हो जाती ।।

ये सुंदर रेशमी नींदों को रखते बंद डिबिया में,
तौलकर स्वयं को चलते समझ की राह खुल जाती ।।

मगर मानव हूँ कैसे जान लूँ उसकी लिखी क्या है ?
वही होगा जो विधना की कलम की नोंक लिख जाती ।।

विपत्ति या मुसीबत कब किसे बतला के आई है,
अजब मेहमाँ है वो जो बिन बुलाए द्वार मुस्काती ।।

 **जिज्ञासा सिंह**

20 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 15 दिसंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

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    1. बहुत बहुत आभार और अभिनंदन आदरणीय पम्मी जी ।रचना का चयन "पांच लिंकों का आनन्द में" होना एक सुखद अनुभूति है ।आपको मेरा सादर नमन एवम वंदन । मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।

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  2. धड़ाधड़ उखड़ जाती जिंदगी की वो मिनारें,
    है जिनकी नींव भी पाताल के नीचे रखी जाती ।।

    अरे हम समझ पाते जिंदगी के खेल मतवाले,
    धरा पर पाँव पड़ते ही सजग तंद्रा ये हो जाती ।।
    जीवन संघर्षों का हृदयस्पर्शी चित्रण । अत्यंत सुंदर भावाभिव्यक्ति जिज्ञासा जी ।

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  3. रचना को मुखरित करती प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन आदरणीय मीना जी ।

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  4. वाह जिज्ञासा जी लाज़बाब रचना है।

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  5. विपत्ति या मुसीबत कब किसे बतला के आई है,
    अजब मेहमाँ है वो जो बिन बुलाए द्वार मुस्काती ।।
    बहुत सुन्दर
    सादर..

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  6. विपत्ति तो पायल बजा कर आ कर मुस्कुराती है और इसे झेलने वाला नौ नौ आँसू रोता है उसका क्या ..... वैसे विपत्ति के बारे में पढ़ कर उसके आने का दृश्य सोच कर हँसी अ गयी ...

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  7. विपत्ति या मुसीबत कब किसे बतला के आई है,
    अजब मेहमाँ है वो जो बिन बुलाए द्वार मुस्काती ।।
    सुंदर रचना आदरणीय ।

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  8. विपत्ति या मुसीबत कब किसे बतला के आई है,
    अजब मेहमाँ है वो जो बिन बुलाए द्वार मुस्काती ।।
    बिल्कुल सही कहा आपने!
    बेहतरीन सृजन...

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  9. हमेशा की तरह बेहतरीन अभिव्यक्ति। सादर।

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  10. बढ़िया लिखती हैं आप। पूरा ब्लॉग ही अच्छा है।

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  11. मन को अभिभूत करती विशेष प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, ब्लॉग पर आपकी बहुमूल्य टिप्पणी का हमेशा स्वागत है ।हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

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