भटकता है
राह को ढूँढे फिरे
नव बसंती क्यारियों में
कुसुम सा खिलना उसे था
वक्त की पैमाइशों में
दंश मिलते, क्या पता था
सूर्य की किरणें दिए सी
जल के उजियारा करे ।।
नव उमंगें नव तरंगें
ले उमर आई जवाँ
दहशतों के दौर में
उजड़ा रहा हर नौजवाँ
ध्येय बिन, बिन लक्ष्य के
कैसे उड़ानों को भरे ?
वक्त के घातक प्रवंचन
में फँसा मासूम मन
ओस की बूँदें छिड़क
कैसे करे अब आचमन
भ्रम के सागर में डुबा
बाहर निकलने से से डरे ।।
बावरा मन
बालपन का, क्या करे ?
भटकता है
राह को ढूँढे फिरे ।।
**जिज्ञासा सिंह**
वक़्त की बात है । भटकन भी दूर होगी ,मंज़िल भी मिल ही जाएगी ।। बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंजी,सही कहा आपने । आपकी सार्थक प्रतिक्रिया ने रचना को सार्थक कर दिया । आपको मेरा नमन और वंदन आदरणीय दीदी 👏💐
हटाएंबालमन तो होता ही चंचल है
जवाब देंहटाएंवक्त के इस दौर बचपना भी बदल गया है,सत्य है, किन्तु इस समय बच्चों के अभिभावकों के कर्तव्यों की भूमिका सजगता से महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए अपना योगदान देने के लिए उपयोगी साबित होगी ।
आपका मेरे ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है, जी,आपकी बात से सहमत हूं । बहुत बहुत आभार आपका ऋतु जी 💐👏
हटाएंबहुत खूब! विसंगतियों से डरा हुआ मन हर वय में।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार सृजन जिज्ञासा जी,
गहन भाव सुंदर अभिव्यक्ति।
आपका बहुत बहुत आभार कुसुम जी । अनुभव ने सृजन को जन्म दिया । आपकी टिप्पणी से सृजन सार्थक हुआ ।
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (21-02-2022 ) को 'सत्य-अहिंसा की राहों पर, चलना है आसान नहीं' (चर्चा अंक 4347) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:30 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी। चर्चा मंच में मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन।मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंबावरा मन अपना भोलापन, अपनी निश्छलता, अपनी सत्यवादिता अगर छोड़ दे तो फिर वो सयाना हो जाएगा.
बहुत बहुत आभार आपका 💐👏
हटाएंबहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बहुत आभार आपका अनीता जी👏💐
हटाएंबहुत ही खूबसूरत सृजन😍💓
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार प्रिय मनीषा 💐❤️
हटाएंबालमन को केंद्र में रखकर लिखा बहुत ही सुंदर गीत
जवाब देंहटाएंमन को छूता हुआ
बधाई
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय 💐👏
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