बाल विवाह


सोलह बरस में रंग,
सबका खिल गया
और मेरा ढल गया ।।

मांग सिंदूरी हुई
मुझको मिली सौगात
कौन ये सब सोचता
मासूम हैं जज्बात
कठघरे में मैं खड़ी
उनको लगा, जग मिल गया ।।

था बरस जब पाँचवा 
मेरा बसंती
फर्क बेटे बेटियों का
कान सुनती 
दादियों औ नानियों की 
बात से ही टूटता ये दिल गया ।।

जन्म दे, दो फाड़
में बाँटा है माँ ने
क्या कहूँ लोगों को 
अब मैं इस जहाँ में
पीढ़ियों से घात होते देख
कर ही ये कलेजा हिल गया ।।

दस बरस होते कसी
पैरों में बेड़ी
फिर भला चढ़ती 
मैं कैसे ऊँची सीढ़ी
पहले पग से ही जहाँ की 
बंदिशों से होंठ मेरा सिल गया ।।

**जिज्ञासा सिंह**

21 टिप्‍पणियां:

  1. बालविवाह की कुप्रथा पर मर्मस्पर्शी टिप्पणी की आपने।

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    1. सटीक सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत आभार यशवंत जी ।

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  2. बहुत ख़ूब जिज्ञासा, आज भी यह सामाजिक कुरीति गाँवों में और ख़ास कर अशिक्षित समुदाय में व्याप्त है.

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    1. रचना का मर्म समझने के लिए बहुत आभार आपका। ये सच है कि आज भी ये कुरीति कहीं न कहीं व्याप्त है ।

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  3. आज भी जहां ये बालविवाह होते होंगे वहाँ एक लड़की शायद ऐसा ही सोचती हो ।
    काश समय के साथ लोग बदल पाएँ ।

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    1. जी,कभी कभी तो लड़की को भी इतनी समझ नहीं होती ।अगर समझाओ तो वो हंस देती है ।
      धीरे धीरे काफी बदलाव आया है । और आगे आएगा भी, ऐसी ही आशा है ।
      आपको मेरा सादर अभिवादन ।

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  4. बाल विवाह की कुप्रथा पर बहुत ही सुंदर रचना।

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    1. बहुत बहुत आभार ज्योति जी । आपकी विशेष टिप्पणी का नमन और वंदन ।

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  5. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२५ -०२ -२०२२ ) को
    'खलिश मन की ..'(चर्चा अंक-४३५१)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  6. रचना को चर्चामंच में शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार प्रिय अनीता जी । मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 💐👏

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    1. बहुत-बहुत आभार आपका गगन जी । आप की प्रतिक्रिया को नमन 💐👏

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  8. आज भी बाल विवाह होते हैं... कानून की परवाह किसे है
    मार्मिक रचना

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    1. रचना पर सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत-बहुत आभार 👏💐

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  9. बहुत ही मार्मिक व हृदयस्पर्शी रचना!
    सच में दिल को छू गई!
    इन कुरीतियों के चलते जब हाथ में स्याही लगनी चाहिये तब मेंहदी लग जाती है,और जब स्कूल के बैग का बोझ उठाने वाली उम्र में जिम्मेदारियों का बोझ उठाना पड़ता है! बाल विवाह जिंदगी को तबाह कर देता है

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  10. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय मनीषा ।

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  11. बाल विवाह की वेदना उन बालिका वधुओं का दर्द बहुत हृदय स्पर्शी ढ़ंग से वर्णित किया आपने जिज्ञासा जी।
    ये आज भी है सभी कानूनों को धत्ता बताती प्रथा।
    हृदय स्पर्शी सटीक सृजन।

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