कोई घोरे रंग हरेरा,कोई लिए गुलाल
भंगिया वाली पी ठंढाई, हो गईं आंखें लाल
जोगीरा सरारारा...........
बालकनी में खड़े पड़ोसी देखि देखि मुस्काय
छत से मारी भर पिचकारी सराबोर होय जायं
जोगीरा सरारारा.......
मेरी पड़ोसन फुलवा तोरैं,माली से बतियायँ
देख पड़ोसी, नैनमटक्का, ज़ोर ज़ोर चिल्लायं
जोगीरा सरारारा.........
साजन जी की मित्रमंडली, लेले गुझिया खाय
देखि के सासू आँख तरेरें, बहुत ज़ोर खिसियायं
जोगीरा सरारारा..........
साजन सज के खड़े हो गए, जैसे अफलातून
पान का बीरा उन्हें खिलाया भर भर डारा चून
जोगीरा सरारारा.........
**जिज्ञासा सिंह**
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१९-०३ -२०२२ ) को
'भोर का रंग सुनहरा'(चर्चा अंक-४३७३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
मेरी रचना का चयन करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार ,आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई प्रिय अनीता जी🖍️🖍️🎊🎊❣️❣️ ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ।
हटाएंवाह लोकभाषा में होली का रंगीला वर्णन करती बहुरंगी रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
बहुत आभार कुसुम जी ।
हटाएंजोगिनिया जी वाह! क्या होली खेलाया है... जोगीरा सरारारारा। भंग सा चढ़ गया ये। बहुत ही सुन्दर होली।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अमृता जी ।
हटाएंफुल्ल मस्ती का डोज़ प्रिये ! जोगी सारा सरारारारा|मैंने तो कभी भंग ना चखी सखी ! पर जिनको भंग का रंग चढ़ा खूब देखा ! सब याद आया ! पड़ोसियों की मस्ती भरी कुटिलता और सासु जी की नाराजगी की परवाह कौन करे ! इसी दिन तो भर भर चूना लगा देओ सजन को | आखिर कौन दिन और जो वो फँसे !!!!!मस्त रचना | मधुर हास्य
जवाब देंहटाएंआपका मधुरिम प्यार सखी । नेह को आंखों में भर लिया ।
जवाब देंहटाएंबहुत शुभाकामनाएं 🌹💖❤️❣️