गौरैया का पलायन

 

गौरैया दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ🌻🐥
गौरैया को समर्पित गीत🐥🌴
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अब उससे हो कैसे परिचय ?
दो पंखों से उड़ने वाली,
दो दानों पे जीने वाली,
जीवन पर फिर क्यूँ संशय ॥

तीर निशाने पर साधे
बड़े शिकारी देखें एकटक,
घात लगाए बैठे हैं
घर अम्बर बाग़ानों तक,
संरक्षण देने वालों ने
डाल दिया आँखों में भय ॥

कंकरीट के जाल 
परों को नोच रहे हैं,
जंगल सीमित हुए
सरोवर सूख रहे हैं,
हुआ तंत्र जब मौन
सुनेगा कौन विनय ॥

ये नन्ही गौरैया चिड़ियां
मिट्टी मानव छोड़,
दूर कहीं हैं चली जा रहीं
जग से नाता तोड़,
वहाँ जहाँ पर पंख खुलें
फुर्र फुर्र उड़ना निर्भय ॥

**जिज्ञासा सिंह**

6 टिप्‍पणियां:

  1. तीर निशाने पर साधे
    बड़े शिकारी देखें एकटक,
    घात लगाए बैठे हैं
    घर अम्बर बाग़ानों तक,
    संरक्षण देने वालों ने
    डाल दिया आँखों में भय ॥
    प्रिय जिज्ञासा जी, दो पंखों वाली इस अनूठी गौरैया की दुर्दशा की सम्पूर्ण कथा कहती ये रचना निशब्द करती है | एक कवि मन ही इस नन्हे पाखी भय और संशय को पहचान सकता है | कुटिल मानव के छल बल से कहीं दूर रहना ही उसके हित में हैं | एक अत्यंत संवेदशील रचना के लिए बधाई |

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    1. आपकी सार्थक प्रतिक्रिया रचना की संबल है । आभार सखी ।

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  2. जो गौरैया घर घर आँगन आँगन घूमती थी अब विलुप्त हो रही हैं ।

    विलुप्त होने के कारणों पर समग्र दृष्टि डालती सुंदर रचना ।

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    1. बहुत बहुत आभार दीदी । आपको मेरा सादर अभिवादन ।

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  3. सुंदर । सटीक ।
    चलिए,पलायन को पलट देते हैं ।

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  4. बहुत आभार नूपुर जी ।
    कोशिश हो रही है,आशा है अच्छे परिणाम आएंगे ।

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