गौरैया को समर्पित गीत🐥🌴
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अब उससे हो कैसे परिचय ?
दो पंखों से उड़ने वाली,
दो दानों पे जीने वाली,
जीवन पर फिर क्यूँ संशय ॥
तीर निशाने पर साधे
बड़े शिकारी देखें एकटक,
घात लगाए बैठे हैं
घर अम्बर बाग़ानों तक,
संरक्षण देने वालों ने
डाल दिया आँखों में भय ॥
कंकरीट के जाल
परों को नोच रहे हैं,
जंगल सीमित हुए
सरोवर सूख रहे हैं,
हुआ तंत्र जब मौन
सुनेगा कौन विनय ॥
ये नन्ही गौरैया चिड़ियां
मिट्टी मानव छोड़,
दूर कहीं हैं चली जा रहीं
जग से नाता तोड़,
वहाँ जहाँ पर पंख खुलें
फुर्र फुर्र उड़ना निर्भय ॥
**जिज्ञासा सिंह**
तीर निशाने पर साधे
जवाब देंहटाएंबड़े शिकारी देखें एकटक,
घात लगाए बैठे हैं
घर अम्बर बाग़ानों तक,
संरक्षण देने वालों ने
डाल दिया आँखों में भय ॥
प्रिय जिज्ञासा जी, दो पंखों वाली इस अनूठी गौरैया की दुर्दशा की सम्पूर्ण कथा कहती ये रचना निशब्द करती है | एक कवि मन ही इस नन्हे पाखी भय और संशय को पहचान सकता है | कुटिल मानव के छल बल से कहीं दूर रहना ही उसके हित में हैं | एक अत्यंत संवेदशील रचना के लिए बधाई |
आपकी सार्थक प्रतिक्रिया रचना की संबल है । आभार सखी ।
हटाएंजो गौरैया घर घर आँगन आँगन घूमती थी अब विलुप्त हो रही हैं ।
जवाब देंहटाएंविलुप्त होने के कारणों पर समग्र दृष्टि डालती सुंदर रचना ।
बहुत बहुत आभार दीदी । आपको मेरा सादर अभिवादन ।
हटाएंसुंदर । सटीक ।
जवाब देंहटाएंचलिए,पलायन को पलट देते हैं ।
बहुत आभार नूपुर जी ।
जवाब देंहटाएंकोशिश हो रही है,आशा है अच्छे परिणाम आएंगे ।