है बड़ा सेमिनार ।
सुरक्षा, स्वावलंबन
सशक्तिकरण वा अधिकार ।।
विमर्शों का बड़ा जमघट
तालियों की गड़गड़ाहट
चल रही है कहीं कोने
दूर मन में एक आहट
चार मुख और आठ आंखें
प्रश्न को तैयार ।।
पीढ़ियों का संविधान
उनकी विधि उनका विधान
कितनी दूरी मापनी है
है लगा पग पग निशान
कहने को तो चल पड़े हैं
दूर है बाजार ।।
है बड़ा सेमिनार ।
सुरक्षा, स्वालंबन
सशक्तिकरण वा अधिकार ।।
महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ💐💐
**जिज्ञासा सिंह**
Jude hmare sath apni kavita ko online profile bnake logo ke beech share kre
जवाब देंहटाएंPub Dials aur agr aap book publish krana chahte hai aaj hi hmare publishing consultant se baat krein Online Book Publishers
ऐसे दिवस, ऐसी सेमिनार्स, ऐसे विचार-विमर्श तब तक बेमानी हैं जब तक हमारा समाज पुरुष-प्रधान रहेगा.
जवाब देंहटाएंआपकी सार्थक त्वरित टिप्पणी ने रचना के मर्म को सार्थक कर दिया, आपको मेरा नमन और वंदन 💐👏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सार्थक सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभारअनुराधा जी👏🏻❤️💐
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना मंगलवार ८ मार्च २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार श्वेता जी, महिला दिवस पर मेरी रचना का “पाँच लिंकों का आनंद” में चयन बहुत ही ख़ुशी दे गया, आपका बहुत बहुत आभार प्रिय सखी, मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ💐💐❤️❤️
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (8-3-22) को "महिला दिवस-मौखिक जोड़-घटाव" (चर्चा अंक 4363)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभार कामिनी जी, महिला दिवस पर मेरी रचना का “चर्चा मंच” में चयन बहुत ही ख़ुशी दे गया, आपका बहुत बहुत आभार प्रिय सखी, मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ💐💐❤️❤️
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय दीदी 👏🌹🌹
हटाएंबहुत सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति प्रिय जिज्ञासा जी। पीढियों का पुरूषवादी संविधान चल रहा है समाज और परिवार में।इसके अलावा सभी प्रश्न आज भी अनुत्तरित से हैं फिर भी प्रयासरत हैं सधे कदम,मंजिल की ओर।सार्थक रचना के लिए आभार।महिला दिवस पर विशेष बधाई और शुभकामनाएं 🧡🧡❤💚
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार प्रिय रेणु जी🌹🌹👏
हटाएंसही कहा आपने, सेमिनार ,महिला मुक्ति के नारे,नारी विमर्श पर गौष्ठियाँ बस सगल मात्र है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सार्थक भाव सामग्री।
महिला दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत बहुत आभार प्रिय कुसुम जी🌹🌹👏
हटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार प्रिय मनोज जी🌹🌹👏
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंकुछ पल की चकाचौंध और फिर उसी ढर्रे पर जिंदगी चलती रहेगी अगले के इंतज़ार में
सार्थक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार प्रिय कविता जी🌹🌹👏
हटाएंदिल और दिमाग को झंझकोरती बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंसादर
सार्थक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय ज्योति खरे जी🌹🌹👏
हटाएंहै बड़ा सेमिनार ।
जवाब देंहटाएंसुरक्षा, स्वालंबन
सशक्तिकरण वा अधिकार ।।
इन मुद्दों पर बहस ही होती रहती है, काम कुछ होता नहीं।
सार्थक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार प्रिय मीना जी🌹🌹👏
हटाएंअलग सी शैली में पोस्टर नारों ,सम्मेलनों , मंचीय बहसों औपचारिकताओं की व्यर्थता दर्शाती सुन्दर रचना .
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिजा कुलश्रेष्ठ जी🌹🌹👏
हटाएंबहुत बहुत बहुत ही उम्दा सृजन! 👍👍
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार प्रिय मनीषा 🌹🌹
जवाब देंहटाएंअभी भी सब कुछ दूर ही है .... उम्दा सृजन ...
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