प्रार्थना के मेरे उद्गार सुन लो शारदे

प्रार्थना के मेरे उद्गार, सुन लो शारदे ।
खोल दो आज मन के द्वार, सुन लो शारदे ।।

यहाँ से दूर उस जग तक, सदा दौड़ी मैं जड़ता संग,
मिले न शब्द शाश्वत, शिल्प, सुर न ताल सुन लो शारदे ।।

मिले सानिध्य का आशीष, तो ये चमन खिल जाए,
फलों फूलों से सज्जित, तरुवरों की डार सुन लो शारदे ।।

यही विनती है माँ चरणों में, वर दे दो प्रभा का अब,
जले नित ज्योति उर में, औ मिटे अंधियार सुन लो शारदे ।।

दिव्य हो, सजग हो, हर प्राण, इस पावन धरा का अब,
यही बस आस है, गुहार औ मनुहार, सुन लो शारदे ।।

सदा वर्षा सी, सागर सी, औ नदिया सी बहो मन में,
हमें दो ज्ञान की बहती सी, अविरल धार सुन लो शारदे ।।

**जिज्ञासा सिंह**

16 टिप्‍पणियां:

  1. माँ शारदे का वरद हस्त सदा आप पर बना रहे । बहुत खूबसूरत सृजन जिज्ञासा जी ।

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  2. बहुत बहुत आभार प्रिय शुभा जी ।
    नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  3. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (06-04-2022) को चर्चा मंच       "अट्टहास करता बाजार"    (चर्चा अंक-4392)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    --

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    1. रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार । सादर अभिवादन सहित, मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  4. बहुत सुंदर सृजन, जिज्ञासा दी।

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  5. बहुत बहुत आभार ज्योति जी ।
    आपकी प्रशंसा को नमन ।

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  6. माँ शारदे की असीम अनुकंपा हम सब पर बनी रहे। इस सुंदर वंदना का आभार!!!

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    1. आपका बहुत बहुत आभार ।
      प्रशंसा के लिए सादर नमन ।

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  7. माँ शारदे की सुन्दर और भावपूर्ण अभ्यर्थना प्रिय जिज्ञासा जी।शब्द-शब्द कृतज्ञता भरा है।सब पर उनकी अनुकम्पा बनी रहे।नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई स्वीकार करें 🌹🌹❤❤🌹🌹🙏

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    1. आपका बहुत बहुत आभार ।
      प्रशंसा के लिए सादर नमन ।

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  8. जिज्ञासा, माँ शारदे का आशीर्वाद तुम पर यूँ ही बना रहे.

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    1. आपके स्नेह भरे शब्द मन प्रफुल्लित कर गए ।
      आपका बहुत बहुत आभार ।
      प्रशंसा के लिए सादर नमन ।

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  9. भक्तिभाव में डूबी सरस रचना

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    1. आपका बहुत बहुत आभार ।
      प्रशंसा के लिए सादर नमन ।

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  10. सदा वर्षा सी, सागर सी, औ नदिया सी बहो मन में,
    हमें दो ज्ञान की बहती सी, अविरल धार सुन लो शारदे ।।

    बहुत ही सुंदर प्रार्थना,नवरात्री की हार्दिक शुभकामनायें आपको

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  11. आपकी प्रतिक्रिया हमेशा मनोबल बढ़ाती है ।
    आपका बहुत बहुत आभार ।
    प्रशंसा के लिए सादर नमन ।

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