कंचन का ये बना ये पालना, रेशम डोर लगाई ॥
राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, झूल रहे इठलाई ।
कोई चले घुटने, कोई बकइयाँ, कोई भागि लुकाई ॥
राजा दशरथ चुमकारि बोलावें, तबहूँ न आवें भाई ।
हारि गए राजन जब पकरत, मातु लियो बुलवाई ॥
देखि मातु को लेत बलैयाँ, राम गए मुस्काई ।
गिरि-गिरि जायँ गोदि कौशल्या, दशरथ नैन समाई ॥
पालना झूल रहे रघुराई ।।
**जिज्ञासा सिंह**
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं जिज्ञासा दी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ज्योति जी । आपकी प्रशंसा को नमन और वंदन ।
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 11 अप्रैल 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
बहुत बहुत आभार आदरणीय सर।
हटाएंआपके प्रोत्साहन की आभारी हूं।
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार 11 अप्रैल 2022 ) को 'संसद के दरवाज़े लाखों चेहरे खड़े उदास' (चर्चा अंक 4397) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
चर्चा मंच में चर्चा के लिए रचना का चयन होना मेरे लिए हर्ष का विषय है,आपका बहुत बहुत आभार और अभिनंदन आदरणीय सर।मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
हटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंइस बाल-लीला से केवल राजा दशरथ ही नहीं, हम भी आनंदित हो रहे हैं.
बहुत बहुत आभार आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंआपकी प्रशंसा को नमन और वंदन।
बहुत ही सुन्दर मन में आनंद भरने वाला लाजवाब सृजन
जवाब देंहटाएंवाह!!!
पालना झूल रहे रघुराई ।
काहेन का ये बना रे पालना, क़ाहेन डोर लगाई ।
कंचन का ये बना ये पालना, रेशम डोर लगाई
आपकी आत्मीय प्रशंसा को नमन और वंदन ।
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